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बतौर गुज्जर सम्राट राजा मिहिर भोज की प्रतिमा लगाने पर छिड़े विवाद पर अपना पक्ष रखने के लिए क्षत्रिय समाज ने की कांफ्रेंस

फरीदाबाद: 06 अगस्त, गुज्जर समुदाय द्वारा राजा मिहिर भोज की प्रतिमा बतौर गुज्जर सम्राट लगाए जाने की घोषणा के बाद उपजे विवाद पर अपना पक्ष रखने के लिए क्षत्रिय समुदाय के नेताओं ने आज कांफ्रेंस की।
होटल डिलाइट में आयोजित कांफ्रेंस में भारत सरकार द्वारा गठित महाराजा अनंगपाल तोमर द्वितीय स्मृति समिति के सदस्य कुंवर राजेंद्र सिंह नरूका ने बताया कि कुछ भूमाफिया टाइप के लोग समाज में वैमनस्य बोने के लिए राजपूत सम्राट मिहिरभोज प्रतिहार एवं राजपूत महाराजा अनंगपाल तोमर के नाम के आगे गुज्जर शब्द लगाकर उनकी प्रतिमा ऐतिहासिक गाँव अनंगपुर में स्थापित करने का षडयंत्र कर रहे हैं। जो कि क्षत्रिय समाज के इतिहास से छेड़छाड़ है। जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। वक्ताओं ने स्पष्ट रूप से कहा कि क्षत्रिय समाज शांति बनाए रखना चाहता है लेकिन इस शांति को बनाए रखने की पूरी जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन की है।
उन्होंने बताया कि किस प्रकार क्षत्रिय समाज का नाम सम्राट हर्षवर्धन बैश के कालखंड में राजपुत्र अथवा राजपूत हो गया। उन्होंने बताया कि क्षत्रियों के अग्निवंश में 4 कुल चौहान, परमार, चालुक्य (सोलंकी) एवं प्रतिहार (परिहार) में से केवल प्रतिहार कुल को ही बडग़ुर्जर या गुर्जर प्रतिहार क्यों कहा गया।
वामपंथियों और विदेशी कुचक्रों में न फंसे समाज
करणी सेना के अध्यक्ष सूरजपाल अम्मू ने कहा कि हमारे कुछ गुज्जर युवा देश के शत्रु वामपंथियों एवं विदेशी कुचक्र के बहकावे में आकर अपने ही भाईयो के विरुद्ध अनर्गल बातें बोल रहे हैं पर उनके बुजुर्ग बहुत समझदार हैं, वे आज नहीं तो कल उन्हें समझा ही लेंगे।
पीपीटी के माध्यम से बताया दिल्ली के राजपूत राजाओं का कालखंड
जीवा संस्थान के प्रमुख एवं महाराजा अनंगपाल तोमर द्वितीय के वंशज ऋषिपाल चौहान ने दिल्ली के राजपूत राजाओं की जानकारी देने के लिए एक पीपीटी प्रस्तुत की। उन्होंने दिल्ली के संस्थापक अनंगपाल तोमर द्वितीय और उनके नाती सम्राट पृथ्वीराज चौहान के वंश के बारे में भी विस्तार से बात रखी। वहीं अन्य वक्ताओं ने भी इस बारे में पुरातात्विक विभाग एवं सर्वेक्षण के अकाट्य तथ्यों, अनेक पुस्तकों, ग्रंथों, भित्तिचित्रों आदि के माध्यम से अपनी बात को रखा।
चंद लोगों द्वारा फैलाया जा रहा वैमनस्य
अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के अध्यक्ष ठाकुर महेंद्र ङ्क्षसह तंवर ने कहा कि चंद लोगों द्वारा एक दिन पहले की गई प्रेस कांफें्रस में राजपूत और जाट रेजिमेंट के बारे में गलत बातें कही गई हैं और इन्हें समाप्त करने की बात भी कही गई है। जिसके बारे में उन्होंने एक शिकायत स्थानीय प्रशासन को दी है। हमें उम्मीद है कि प्रशासन इस ओर कड़ी कार्रवाई करेगा।
गुज्जर जाति के ऋणी हैं, लेकिन हमारे इतिहास से न खेलें
क्षत्रिय समाज के वक्ताओं ने कहा कि गुज्जर शब्द गुर्जर का अपभ्रंश नहीं है। यह बात स्वयं गुज्जर संगठनों ने जनजातीय आरक्षण की मांग के समय रखी थी। उन्होंने कहा कि हमारी लड़ाई गुज्जर जाति से नहीं है, हम उनके सदा ऋणी रहेंगे क्योंकि जब हमारी रानी माताएं जौहर कर लेती थी या सती हो जाती थी तब हमारे पूर्वजों को गुज्जरी धाय माताओं ने दुग्धपान कराकर जीवनदान दिया था।
कांफ्रेंस में राजकुल संस्कृति संरक्षण संस्था से नारायण सिंह शेखावत, रोहतास सिंह चौहान, अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजेश रावत, क्षत्रिय एकता मंच के अध्यक्ष संजीव चौहान, युवा राजपुताना संगठन के अध्यक्ष गौरव भाटी, ठाकुर राजाराम, भूपेश रावत, उमेश भाटी, क्षत्रिय जन कल्याण समिति के अध्यक्ष प्रमोद तोमर, अखंड राजपुताना सेवा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरेंद्र गौड, वीरांगना निकिता तोमर ट्रस्ट से मूलचंद सिंह तोमर, राजपूत सभा फरीदाबाद के अध्यक्ष कमल सिंह तंवर, महाराणा प्रताप सेवा समिति के अध्यक्ष संजीव ठाकुर आदि अनेक क्षत्रिय संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद रहे।

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