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आर्य केंद्रीय सभा द्वारा स्वामी श्रद्धानंद का 98वां बलिदान दिवस मनाया गया

पंकज अरोड़ा की रिपोर्ट फरीदाबाद: महान‌ शिक्षाविद्, स्वतंत्रता सैनानी व आर्य सन्यासी अमर हुतात्मा स्वामी श्रद्धानंद को उनके 98वें बलिदान दिवस पर श्रद्धा के साथ याद किया गया। आर्य समाज केंद्रीय सभा (नगर निगम क्षेत्र) द्वारा इस अवसर पर आर्य समाज सैक्टर 7 में आर्य विदूषी श्रुति सेतिया, भजनोपदेशक जितेंद्र सरल, आचार्य डॉ सतीश सत्यम ने भजनों के माध्यम से स्वामी श्रद्धानंद के योगदान को याद करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

मुख्य वक्ता योगीराज डा. ओमप्रकाश जी महाराज संचालक, ओमयोग संस्थान, पाली फरीदाबाद ने अमर हुतात्मा स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती को नमन करते हुए कहा कि वे आर्यसमाज के सन्यासी, भारत के गुरुकुलीय शिक्षा प्रणाली के पुनरुद्धारक, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तथा ऋषिप्रवर स्वामी दयानन्द सरस्वती के अनन्य शिष्य थे जिन्होंने उनकी शिक्षाओं का प्रसार किया। वे भारत के उन महान राष्ट्रभक्त सन्यासियों में अग्रणी थे, जिन्होंने अपना जीवन स्वाधीनता, स्वराज्य, शिक्षा तथा वैदिक धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित कर दिया था। 1901 में वैदिक धर्म तथा भारतीयता की शिक्षा देने वाले संस्थान की स्थापना की जिसे आज ‘गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय’ नाम से जाना जाता है। 23 दिसंबर 1926 को नया बाजार स्थित उनके निवास स्थान पर एक उन्मादी ने धर्म-चर्चा के बहाने उनके कक्ष में प्रवेश करके गोली मारकर इस महान विभूति की हत्या कर दी थी। बलिदान दिवस पर हम प्रेरणा लेकर समर्पित भाव से देश सेवा में अपना योगदान करें।

आचार्य ऋषिपाल, प्रधान आर्य केंद्रीय सभा ने स्वामी जी को याद करते हुए कहा कि सामाजिक उत्थान एवं सुदृढ़ राष्ट्र हेतू जिन विषयों को महर्षि दयानंद सरस्वती ने चिन्हित किया और स्वामी श्रद्धानंद जी ने प्रेरित होकर उनको वास्तविक धरातल देने हेतु अपने जीवन को आहूत किया।

डॉ देवव्रत, प्रधान संचालक, सार्वदेशिक आर्यवीर दल ने कहा कि समाजसेवियों में स्वामी श्रद्धानंद का नाम बहुत ही आदर के साथ लिया जाता है। उन्होंने अपना पूरा जीवन शिक्षा, संस्कार और सनातन संस्कृति के संरक्षण के लिए लगा दिया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता देश बन्धु आर्य, प्रधान, आर्य प्रतिनिधि सभा हरियाणा तथा मंच संचालन योगेंद्र फोर, महामंत्री ने किया। इस अवसर पर धर्मपाल आर्य, सतीश कौशिक, निष्ठाकर आर्य, योगाचार्य देवराज आर्य, वसु मित्र सत्यार्थी, होती लाल आर्य, संजय आर्य, संजय सेतिया, कुलभूषण सखुजा, रामबीर नाहर, संदीप आर्य, सुधीर बंसल, धर्मेश अविचल, रविंद्र गुप्ता, ज्ञानेंद्र फागना, रचना आहूजा, ऊषा चितकारा, प्रेम बहल, संघमित्रा कौशिक तथा विभिन्न आर्य समाज के प्रतिनिधि शामिल हुए।

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