पंकज अरोड़ा की रिपोर्ट/फरीदाबाद, 20 सितंबर: विश्व अल्जाइमर दिवस के अवसर पर ग्रेटर फरीदाबाद सेक्टर-86 स्थित एकॉर्ड अस्पताल में आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में न्यूरोलॉजी विभाग के चेयरमैन डॉ. रोहित गुप्ता ने कहा कि समय पर पहचान और इलाज से अल्जाइमर जैसी गंभीर बीमारी को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि अस्पताल में हर महीने 8 से 10 नए मरीज अल्जाइमर और डिमेंशिया के विभिन्न लक्षणों के साथ आते हैं। इनमें याददाश्त कमजोर होना, बार-बार एक ही बात दोहराना, चीजें भूल जाना और व्यवहार में बदलाव आम संकेत होते हैं।
डॉ. गुप्ता ने बताया कि यह बीमारी पहले सिर्फ बुजुर्गों में देखने को मिलती थी, लेकिन अब तनाव, अनियमित दिनचर्या और बदलती जीवनशैली के कारण युवाओं में भी इसके मामले सामने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि अल्जाइमर के शुरुआती लक्षणों को अक्सर लोग नजरअंदाज कर देते हैं, जिससे बीमारी बढ़ती जाती है और मरीज पूरी तरह दूसरों पर निर्भर हो जाता है। न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. संदीप घोष ने स्पष्ट किया कि जागरूकता की कमी इस बीमारी के तेजी से फैलने का बड़ा कारण है। समय पर डॉक्टर से परामर्श लेने और नियमित जांच कराने से मरीज को बेहतर जीवन गुणवत्ता मिल सकती है। न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. मेघा शारदा ने सुझाव दिया कि परिवार के लोग यदि किसी सदस्य में भूलने की समस्या लगातार देखें, तो तुरंत न्यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करें।
कार्यक्रम में मौजूद विशेषज्ञों ने बताया कि संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, मानसिक सक्रियता और सकारात्मक जीवनशैली अपनाकर इस बीमारी से काफी हद तक बचाव किया जा सकता है।
अल्जाइमर और डिमेंशिया के लक्षण
– बार-बार एक ही सवाल पूछना या बातें दोहराना।
– हाल की घटनाओं या नाम याद न रखना।
– सामान रखकर भूल जाना।
– निर्णय लेने और दैनिक काम करने में कठिनाई।
– स्वभाव और व्यवहार में अचानक बदलाव, चिड़चिड़ापन या अवसाद।
– समय, स्थान और लोगों की पहचान में भ्रम।