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श्रद्धा रामलीला: सीता विदाई से राम वनवास तक के भावुक प्रसंगों ने दर्शकों को किया भावविभोर

पंकज अरोड़ा की रिपोर्ट/फरीदाबाद: सेक्टर-12 हुडा मैदान में चल रही श्री श्रद्धा रामलीला कमेटी की रामलीला ने गुरुवार को दर्शकों को भाव-विभोर कर दिया। तीसरे दिन के मंचन में जनकपुर से लेकर अयोध्या तक की घटनाओं का जीवंत चित्रण किया गया। सबसे पहले अयोध्या से राजा दशरथ बारात लेकर जनकपुर पहुंचे, जहां राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, गुरु वशिष्ठ, सुमंत और अयोध्यावासी बारातियों के रूप में शामिल हुए। इसके बाद सीता जी की विदाई का भावुक दृश्य मंचित हुआ।

इसके उपरांत अयोध्या लौटकर राजा दशरथ ने राम को राजगद्दी सौंपने की घोषणा की। यही प्रसंग आगे मंथरा के षड्यंत्र और कैकेई की मति फेरने की ओर बढ़ा। मंथरा ने रानी कैकेई को दो वरदान मांगने की सलाह दी—भरत को राज और राम को चौदह वर्ष का वनवास। इस दृश्य में कैकेई के कोप भवन में जाने और महाराज दशरथ के दुखभरे संवादों ने दर्शकों की आंखें नम कर दीं।

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कलाकारों ने अपनी भूमिकाओं से दर्शकों का मन मोह लिया। राम की भूमिका कुणाल चावला ने निभाई, जबकि लक्ष्मण बने साहिब खरबंदा, भरत बने यशराज चांदना और शत्रुघ्न का किरदार प्रणव अरोड़ा ने निभाया। राजा दशरथ के रूप में अजय खरबंदा और सीता के रूप में योगंधा वशिष्ट ने उत्कृष्ट अभिनय किया। कैकेई बनीं आसावरी वशिष्ट और मंथरा का प्रभावी अभिनय पायल शाही ने प्रस्तुत किया। गुरु वशिष्ठ की भूमिका नेत्रपाल शर्मा, जनक का किरदार जगदीश भाटिया और सुमंत का अभिनय जितेन्द्र अरोड़ा ने निभाया।

इसके अतिरिक्त मंचन में इन्द्र दरबार का भव्य दृश्य भी प्रस्तुत किया गया, जिसमें मां सरस्वती (डॉ. धीरजा), इन्द्र (राजकुमार ढींगरा) और ऋषिवर (प्रभु दयाल खट्टर) सहित कई देवताओं ने उपस्थित होकर मंच की शोभा बढ़ाई।

रामलीला कमेटी के निदेशक अनिल चावला ने बताया कि

शानदार अभिनय, संवादों की प्रभावशाली प्रस्तुति और सजीव मंच सज्जा ने तीसरे दिन की रामलीला को अविस्मरणीय बना दिया। दर्शकों ने कलाकारों की कला और रामकथा के प्रसंगों की जीवंत प्रस्तुति पर तालियों से उत्साहवर्धन किया।

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