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मनुष्य के अच्छे कर्म ही उसके लिए मोक्ष के द्वार खोलते हैं: डा. नरेंद्र वेदालंकार

पंकज अरोड़ा की रिपोर्ट फरीदाबाद: 06 सितंबर, आर्य केंद्रिय सभा (नगर निगम क्षेत्र) के तत्वाधान में विभिन्न आर्य समाजों में 8 दिवसीय वेद प्रचार महोत्सव की श्रृंखला के छठे दिन आर्य समाज एन आई टी, 3 नंबर द्वारा आयोजित कार्यक्रम में विभिन्न आर्य समाज के प्रतिनिधि सम्मिलित हुए।

प्रसिद्ध आर्य भजनोपदेशक आचार्य सतीश सत्यम और जितेंद्र सरल ने जीवन में वैदिक संस्कारों की महत्ता को अपने सुंदर और प्रेरक भजनों के माध्यम से प्रस्तुत किया।

मुख्य वक्ता‌ आर्य विद्वान डा. नरेंद्र वेदालंकार ने महामृत्युंजय मंत्र का महत्व बताते हुए कहा कि इस मंत्र का उल्लेख ऋग्वेद, यजुर्वेद, आदि में स्पष्ट रूप से मिलता है। अर्थात्, हम तीनों लोकों के स्वामी (त्र्यम्बकं) से प्रार्थना करते हैं कि, अपनी अपार शक्ति से इस संसार का पालन पोषण करें और कामना करते हैं कि वह जन्म-मृत्यु के बंधन से हमें मुक्त कर मोक्ष प्रदान करें। जीवन के चरमबिंदू तक जीयें, जैसे खरबूजा परिपक्व के बाद सहज रूप से बेल से मुक्त हो जाता है उसी प्रकार हम संसार रुपी बेल से पूरी तरह साफ सुंदर जीवन को जीते हुए पूर्णतः परिपक्व होकर सहज रूप से शरीर को त्याग मोक्ष प्राप्त करें। हमारे कर्मों की सुगंध महकती रहे आत्मा भी गुणों से संपन्न हो, श्रेष्ठ कर्मों से परलोक सुधर जाये और मुक्ति प्राप्त हो।

कार्यक्रम में रामबीर नाहर, कुलभूषण सखुजा, कर्मचंद शास्त्री, वसु मित्र सत्यार्थी, जोगेंद्र कुमार, सुधीर कुमार बंसल, शिवकुमार टुटेजा, नंदलाल कालरा, महेंद्र प्रताप चावला, धर्मवीर आर्य, संजय सेतिया, जगदीश चंद विरमानी, प्रेम बहल, हर्ष गुलाटी, सरला देवी, ज्ञान देवी आहूजा, रुकमणी टुटेजा, प्रतिभा यति, संतोष मदान, मीरा हसीजा, सरला देवी, शीला देवी, नर्वदा शर्मा तथा अनेक श्रद्धालुगण उपस्थित रहे।

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