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मानव रचना विश्वविद्यालय में ‘दिव्यांग शक्ति’ प्रमाण पत्र वितरण समारोह आयोजित

पंकज अरोड़ा की रिपोर्ट फरीदाबाद: मानव रचना विश्वविद्यालय में आज ‘दिव्यांग शक्ति – विशेष बच्चों के लिए खेल प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण’ कार्यक्रम के तहत प्रमाण पत्र वितरण समारोह का आयोजन किया गया। यह पहल कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय (MSDE) द्वारा संकल्प योजना के अंतर्गत चलाई जा रही है और इसे स्पोर्ट्स, फिजिकल एजुकेशन, फिटनेस और लेजर स्किल्स काउंसिल (SPEFL-SC) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है। पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरा करने के बाद कैंडिडेट्स को सर्टिफिकेट दिया गया है। MSDE से तृप्ति भट्टाचार्य ने समारोह की शोभा बढ़ाई और सफल उम्मीदवारों को प्रमाण पत्र वितरित किए। उन्होंने प्रशिक्षकों को प्रेरित करते हुए कहा कि वे अपने अर्जित कौशल का उपयोग समावेशी खेल प्रशिक्षण में सार्थक योगदान देने के लिए करें।

बता दें कि मंत्रालय की इस पहल पर स्पोर्ट्स, फिजिकल एजुकेशन, फिटनेस और लेजर स्किल्स काउंसिल द्वारा यह कार्यक्रम देश के 18 राज्यों में प्रशिक्षकों को सशक्त बनाने और खेल शिक्षा में समावेशन को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है। अब तक, इस कार्यक्रम के माध्यम से 33,498 शारीरिक शिक्षा शिक्षक, विशेष शिक्षक, बी.एड और बी.पी.एड छात्र खेल-आधारित कार्यक्रमों को लागू करने के लिए प्रशिक्षित हो चुके हैं। यह परियोजना समावेशी शारीरिक शिक्षा पद्धतियों को अपनाकर बच्चों की शारीरिक और मानसिक भलाई में सुधार लाने का कार्य कर रही है, जिससे वे शैक्षणिक और सामाजिक रूप से बेहतर प्रदर्शन कर सकें।

स्पोर्ट्स, फिजिकल एजुकेशन, फिटनेस और लेजर स्किल्स काउंसिल (SPEFL-SC) के सीईओ तहसीन जाहिद ने कहा कि यह परियोजना ‘समावेशी संस्कृति’ को बढ़ावा देती है, जिससे टीम वर्क, निर्णय लेने की क्षमता और आत्मविश्वास विकसित होता है। इसे सरकारी स्कूलों, विशेष शिक्षा संस्थानों और शिक्षक प्रशिक्षण कॉलेजों में लागू किया गया है ताकि समावेशी शिक्षा के सर्वोत्तम तरीकों की स्थापना की जा सके। हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि विशेष रूप से सक्षम बच्चों को भी समान अवसर मिलें ताकि वे अपने कौशल को निखार सकें और समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सकें।

दिव्यांग शक्ति परियोजना के माध्यम से प्रशिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण देकर, यह पहल शिक्षा को अधिक समावेशी और सहयोगात्मक बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। इससे विशेष रूप से सक्षम बच्चों को मुख्यधारा की शिक्षा और समाज में आसानी से शामिल होने का अवसर मिलेगा।

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