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सारी दृश्य और अदृश्य वस्तुएं प्रभु की ही हैं:- आचार्य ऋषिपाल

फरीदाबाद: 18 दिसंबर,  महर्षि दयानंद योगधाम, फरीदाबाद के तत्वाधान में तीन दिवसीय गायत्री महायज्ञ एवं वार्षिक उत्सव के भव्य समापन कार्यक्रम का शुभारंभ हवन यज्ञ से हुआ तत्पश्चात भजनोपदेशक आचार्य प्रदीप शास्त्री, वैदिक विदुशी श्रुति सेतिया तथा भजनोपदेशक आर्य विद्वान जितेन्द्र प्रभाकर सरल द्वारा मधुर भजनों से सब का मन मोह लिया।

कार्यक्रम के अध्यक्ष, गुरूकुल इन्द्रप्रस्थ के व्यवस्थापक एवं अध्यक्ष और आर्य केंद्रीय सभा, नगर निगम क्षेत्र के प्रधान आचार्य ऋषिपाल ने अपने व्याखान में कहा आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त व्यक्ति ईश्वरीय शक्ति संपन्न बन जाता है। आत्मा अंतर में जितनी आगे की यात्रा करती है, उतना ही अधिक उसे परमानंद का अनुभव होता है। सारी दृश्य और अदृश्य वस्तुएं प्रभु की ही हैं। वही उसका स्वामी है। हम सिर्फ अपने कर्म फल के आधार पर उपयोग कर रहे है। आध्यात्मिक जीवन एक ऐसी नाव है जो ईश्वरीय ज्ञान से भरी होती है। यह नाव जीवन के उत्थान एवं पतन के थपेड़ों से हिलेगी-डोलेगी, पर डूबेगी नहीं।


स्वामी मेघानंद सरस्वती ने कहा योग एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है, जिसमें तन, मन और आत्मा को एक साथ लाने का काम किया जाता है। योगधाम के संस्थापक स्व. डा. स्वामी दिव्यानंद सरस्वती ने हमेशा सबका मार्गदर्शन करते हुए कहते थे कि योग एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है, जिसमें तन, मन और आत्मा को एक साथ लाने का काम किया जाता है।

मंच संचालन आर्य केंद्रीय सभा, नगर निगम क्षेत्र के महामंत्री योगेंद्र फोर ने किया। योगधाम के प्रधान मुंशी लाल अग्रवाल और प्रधाना स्वदेश सत्यार्थी ने उपस्थित विद्वानों और सबका धन्यवाद किया।

इस मौके पर महाशय कौशल मुनी, ज्ञानेंद्र फागना, सत्येंद्र फागना, जगबीर मलिक, एस पी अरोड़ा, शिव कुमार टुटेजा, नंद लाल कालरा, मनोज डंगवाल, सुरेश गुलाटी, कुलभूषण सखूजा, गोल्डी महलोत्रा, वसु मित्र सत्यार्थी, जोगिंदर कुमार, कुसुम गर्ग, प्रतिभा यति, सुमन बत्तरा, संतोष मदान पुष्पा अहूजा, स्वामी यज्ञानंदा, संतोष विरमानी, हर्ष गुलाटी, योगाचार्य मंजु, मौजूद थे।

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