पार्किंसंस और डिस्टोनिया से पीड़ित मरीजों को डीबीएस तकनीक से मिली नई उम्मीद और जीवन की गुणवत्ता में सुधार*
पंकज अरोड़ा की रिपोर्ट नई दिल्ली: 10/9/ 2025: अमृता अस्पताल, फरीदाबाद ने उन्नत न्यूरोलॉजी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्ज की है। अमृता अस्पताल, फरीदाबाद ने अब तक 30 से अधिक डीप ब्रेन स्टिम्युलेशन (DBS) सर्जरी सफलतापूर्वक पूरी की हैं। यह मील का पत्थर भारत में न्यूरोमॉड्यूलेशन थेरेपी को तेजी से अपनाने और गंभीर मूवमेंट डिसऑर्डर्स के मरीजों के जीवन को बदलने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
डीबीएस प्रक्रिया में मस्तिष्क के विशेष हिस्सों (जैसे ग्लोबस पैलिडस इंटरनस या सबथैलेमिक न्यूक्लियस) में पतले इलेक्ट्रोड लगाए जाते हैं। इन्हें त्वचा के नीचे प्रत्यारोपित एक विशेष उपकरण से जोड़ा जाता है, जो असामान्य विद्युत संकेतों को नियंत्रित करता है। जब दवाइयों से राहत नहीं मिलती, तब यह तकनीक पार्किंसंस, डिस्टोनिया और एसेन्शियल ट्रेमर जैसे रोगों के लिए जीवन बदलने वाला विकल्प साबित होती है।
पार्किंसंस और डिस्टोनिया का प्रभाव:
दुनियाभर में करीब 1 करोड़ लोग पार्किंसंस से प्रभावित, जिनमें 7–10 लाख मरीज भारत में
लक्षण: हाथ-पैरों में कंपन, अकड़न, और धीमी गति से चलना
डिस्टोनिया: मांसपेशियों के अनियंत्रित संकुचन, दर्द और शरीर के मुड़ने जैसे लक्षण
वैश्विक स्तर पर 16–50 प्रति लाख जनसंख्या प्रभावित, भारत में यह बीमारी काफी अंडर-डायग्नोज्ड मानी जाती है
डीबीएस की सुरक्षा और प्रभावशीलता (अंतरराष्ट्रीय आंकड़े):
मौत का खतरा: 0.5% से कम
ब्रेन ब्लीडिंग: 1–2%
संक्रमण: 1–3%
लंबे समय में हार्डवेयर रिप्लेसमेंट की जरूरत: ~6%
मोटर लक्षणों में सुधार: 40–60% तक
*डॉ. संजय पांडे, हेड ऑफ न्यूरोलॉजी, अमृता अस्पताल, फरीदाबाद* ने कहा, “पार्किंसंस और डिस्टोनिया जैसे रोग मरीजों और परिवारों की ज़िंदगी को पूरी तरह बदल देते हैं। डीबीएस सिर्फ लक्षणों को नियंत्रित नहीं करता, बल्कि यह मरीजों को आत्मविश्वास और स्वतंत्रता वापस दिलाता है।”
*डॉ. आनंद बालसुब्रमण्यम, एचओडी, न्यूरोसर्जरी, अमृता अस्पताल, फरीदाबाद* ने कहा, “डीबीएस सर्जरी विज्ञान और सटीकता का उदाहरण है। मिलीमीटर तक की शुद्धता से किया गया यह ऑपरेशन मरीज को फिर से चलने, लिखने और सामान्य जीवन जीने का अवसर देता है।”
दिल्ली की 58 वर्षीय सरोज देवी, जिन्होंने अमृता अस्पताल, फरीदाबाद में उपचार कराया, ने कहा:
“ऑपरेशन से पहले मेरा शरीर अपने आप मरोड़ खाता था। मैं न सही से चल पाती थी, न खा पाती थी और न लिख पाती थी। डीबीएस के बाद मुझे ऐसा लगता है जैसे मुझे नया जीवन मिला है।”
अस्पताल, फरीदाबाद अब डीबीएस को और सुलभ बनाने, प्रारंभिक निदान को बढ़ावा देने और डॉक्टरों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम विकसित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
*डॉ. पांडे ने आगे कहा* , “हमारी कोशिश है कि अधिक से अधिक भारतीय मरीज इस थेरेपी से लाभान्वित हों। मूवमेंट डिसऑर्डर्स बढ़ रहे हैं और डीबीएस जैसी तकनीक को समय रहते अपनाना बेहद ज़रूरी है।”
नोट टू एडिटर:
अमृता अस्पताल, फरीदाबाद 130 एकड़ में फैला देश का सबसे बड़ा निजी मल्टीस्पेशियलिटी अस्पताल है। यहाँ 2,600 बेड, 534 आईसीयू बेड और 81 सुपरस्पेशियलिटी विभाग हैं। 64 अत्याधुनिक ऑपरेशन थिएटर और 10 प्रिसीजन-ऑन्कोलॉजी बंकर के साथ अमृता अस्पताल, फरीदाबाद भारत में चिकित्सा नवाचार और शिक्षा का अग्रणी केंद्र है।