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अधर्म पर धर्म की विजय के साथ अंहकारी रावण का हुआ अंत

पंकज अरोड़ा की रिपोर्ट फरीदाबाद: 12 अक्टूबर, सैक्टर 12 टाऊन पार्क के सामने ग्राउंड में श्रद्धा रामलीला के मंच पर कुंभकरण को नींद से जगाना व कुंभकरण का वध का मंचन किया गया।

इसके बाद लक्ष्मण और मेघनाद का युद्ध दर्शया गया जिसमें मेघनाद शक्ति प्रहार कर लक्ष्मण को मूर्छित कर देता है, विभीषण बताता है कि अगर सुशेन वैध से नाड़ी दिखाई जाए तो वह कोई न कोई उपचार अवश्य बता देंगे राम की आज्ञा लेकर हनुमान लंका से सुशैन वैध को ले आते है वैध बताते है कि द्रोणगिरि पर्वत से मृत संजीवनी लाई जाए तो लक्ष्मण के प्राण बच सकते है।

हनुमान बिना पल गवाए द्रोण पर्वत की और प्रस्थान कर देते है, यह दृश्य देख पूरा प्रांगण जय श्री राम और जय बजरंग बलि के उदघोष से गूंज उठता है।

लक्ष्यण की मूर्छ वापिस आने पर लक्ष्मण युद्ध के लिए मेघनाद को ललकारता है लक्ष्मण की ललकार सून मेघनाद युद्ध के लिए तैयार हो जाता जो दोनों में घना युद्ध होता है जिसमें मेघनाद का वध हो जाता है ।

रावण का डायलॉग

ऐ लक्ष्मण खात्मे पर अब , मेरी यह जिन्दगानी है ।

 करूँ तुझको नसीहत क्या, मुझे यह खुद हैरानी है ।।

 अगर्चे लब हिलाने की भी, ताकत अब नहीं मुझमें ।

 मगर फिर भी कथा मुझको, तुम्हें सुनानी है ।।

  मेरी बात तेरे हक में, अवश्य ही लाभदायक है ।

  सुनो क्योंकि अभी तुम पर, नई आयी ज़वानी है ।।

 विषय भोगों की ज़ानिब, भूल कर भी मत नज़र करना ।

  हुई मेरी जो यह हालत, उसी की मेहरबानी है ।।

 खुशामद चापलूसी से, करे तारीफ़ जो तेरी ।

मेघनाद का वध होते ही रावण युद्धभूमि जाकर राम को ललकारता है राम और रावण में भयंकर युद्ध होता है तब जाकर विभिषण राम से कहता है कि रावण की नाभि में जल है, अगर अग्नि बाण रावण की नाभि में मारा जाए तो वह जल सूख जाएगा और रावण की मृत्यु हो जाएगी तब राम कहता है

ऐ ब्रह्मं अस्त्र तुझे ब्रह्मां ने जिस खातिर बनाया है ।

 तू आपत्ति में जैसे इन्द्र जी के काम आया ।।

 महऋषि अगस्त जी से, तुझे इसलिये तो पाया है ।

भी चूका नहीं करता, तू जब जाता चलाया है ।।

मा रावण की नाभि, प्रांण अमृत को सुखा दे तू 

यह कहकर राम अग्नि बाण का अनुसंधान कर के बाण रावण को नाभि में छोड़ देते है, जिसके लगते ही रावण जय श्री राम के उदघोष के साथ जमीन पर आ गिरता है, और सारा प्रांगण जय श्री राम के नारों से गूंज उठा।

मुख्य भूमिका में राम-कुणाल चावला,लक्ष्मण – साहिब खरबंदा, रावण – श्रवण चावला,मेघनाथ – विजय कुमार कांता, कुंभकर्ण-प्रमोद मग्गू, सुग्रीव – सूरज भाटिया, विभीषण – राज कुमार ढींगरा और अंगद – कशिश चावला का किरदार निभाया है।

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