पंकज अरोड़ा की रिपोर्ट फरीदाबाद: 10 सितंबर, बंदर दिन-रात उत्पात मचाते रहते हैं, कभी किसी बच्चे को उठा ले जाते हैं और उसके कपड़े फाड़ देते है। कोई आदमी गठरी लेकर जा रहा हो तो उसे छीनने का प्रयास करते हैं, अगर वह कुछ खाने को न दे तो उसे काट भी लेते हैं, ऐसा ही एक मामला एनआईटी तीन नंबर का है जंहा 3सी ब्लॉकवासी पिछले कुछ वर्षों से बंदरों के आतंक से त्रस्त थे। ब्लॉक में बंदरों ने आतंक मचाया हुआ है। इन बंदरों की संख्या करीब 15 से 20 के करीब जो रोजाना घरों में घुसकर रसोई के सामान को उठा ले जाते हैं और कपड़ों को फाड़ देते हैं। पार्क की दीवारों और अंदर बेखौफ धूमते थे। बच्चों और विशेष रूप से अचानक हमला कर देते थे और बंदरों ने कई राहगीरों पर हमला कर घायल भी किया है। बंदरों को देखकर कुत्ते भौंकते हुए बंदरों का पीछा कर उन पर हमला करने की कोशिश करते थे परिणामस्वरूप इन भागते हुए कुत्तों से कई वाहनों की टक्कर हो जाती थी।
स्थानीय निवासी वसु मित्र सत्यार्थी ने बंदरों के आतंक से निजात दिलाने के लिए एम सी एफ के संबंधित विभाग व कमिश्नर को कई लिखित शिकायत के साथ अधिकारियों से मिलकर भी उचित कार्यवाही के लिए अनुरोध किया था। उन्होंने बताया कि आखिरकार लंबे और लगातार प्रयासों के फलस्वरू मेहनत रंग लाई और एमसीएफ के अधिकारी मेहरचंद बेनीवाल की देखरेख में बंदरों को पकड़ने के लिए पार्क में पिंजरा लगाया गया। बंदर को ललचाने के लिए उसमे केले, भुने चने रखे। जैसे ही बंदर खाने के लिए घुसा वह पिंजरे में कैद हो गया और उसे दूसरे पिंजरे में बंद कर दिया गया। इस प्रक्रिया को बार बार दोहराते हुए 17 बंदर पकड़ लिए गये। इन बंदरों को एमसीएफ द्वारा निर्धारित एजैंसी द्वारा आवश्यक प्रक्रिया का पालन करते हुए जंगलों में छोड़ दिया जायेगा।