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कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव में भी महत्वपूर्ण विषय पेश किया

पंकज अरोड़ा की रिपोर्ट फरीदाबाद/चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन चर्चा उपरांत छह विधेयक पारित किए गए। इनमें हरियाणा विनियोग (संख्या 3) विधेयक, 2024, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (हरियाणा संशोधन) विधेयक, 2024, हरियाणा माल एवं सेवा कर (संशोधन) अधिनियम, 2024, हरियाणा कृषि भूमि पट्टा विधेयक, 2024, हरियाणा विस्तार प्राध्यापक तथा अतिथि प्राध्यापक (सेवा की सुनिश्चितता) विधेयक, 2024, और हरियाणा तकनीकी शिक्षा अतिथि संकाय (सेवा की सुनिश्चितता) विधेयक, 2024 शामिल हैं।

सत्र के चौथे दिन राजस्व व आपदा प्रबंधन, शहरी स्थानीय निकाय तथा नागरिक उड्डयन विभाग के कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल का सभा की कार्यवाही में अहम योगदान रहा।

इस दौरान ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के तहत शहरी स्थानीय निकाय मंत्री विपुल गोयल ने उत्तर में कहा कि प्रदेश में राजनीतिक दल, राजनीतिक कर्मियों, संस्थाओं, प्रतिष्ठानों इत्यादि द्वारा सार्वजनिक भवनों पर पोस्टर और फ्लेक्स चिपकाना अवैध गतिविधि है। उन्होंने सदन को अवगत कराया कि विभाग सभी शहरों में 10-15 दिनों के भीतर अभियान चलाएगा और जहां भी अवैध पोस्टर, स्टिकर, व अन्य विज्ञापन सामग्री लगाई गई है, उसे हटा दिया जाएगा।

विपुल गोयल ने राजस्व मंत्री के तौर पर हरियाणा कृषि भूमि पट्टा विधेयक, 2024 पर त्वरित विचार करने का प्रस्ताव दिया। इस विधेयक के अंतर्गत पट्टे पर खेती करने वाले छोटे व भूमिहीन किसानों को उनका हक मिलेगा। उन्हें मुआवजा व फसल ऋण संबंधी सभी सुविधाएं मिलेंगी। सरकार का दावा है कि इस कानून से भूमि संसाधनों का अधिकतम उपयोग होगा और पट्टाकर्ता व पट्टेदार दोनों के हितों की रक्षा होगी।

राज्य के बड़े अन्नदाता छोटे व भूमिहीन किसानों को अपनी खेती पट्टे यानी ठेके पर देते हैं। राज्य में यह एक प्रचलित प्रथा है। पट्टाकर्ता अक्सर दो साल बाद पट्टेदार बदल देता है क्योंकि उसे डर रहता है कि पट्टेदार उसकी जमीन पर कब्जा न कर ले। इससे कृषि उत्पादन प्रभावित होता है क्योंकि कई बार जमीन बंजर छोड़ दी जाती है। पट्टाकर्ता लिखित समझौता करने से बचता है, जिससे नुकसान पट्टे पर खेती करने वाले किसान को होता है।

प्राकृतिक आपदा के समय केंद्र व राज्य सरकार द्वारा दी जाने वाली राहत पट्टेदार किसानों तक नहीं पहुंचती। फसल ऋण भी उन्हें नहीं मिल पाता। इन सभी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए इस कानून की आवश्यकता थी। यह कानून दोनों के हितों की रक्षा करेगा। कई किसान संगठनों ने इस पर कानून बनाने की मांग की थी।

प्रस्ताव पर बोलते हुए विपुल गोयल ने इस विधेयक को लाने के लिए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि किसानों की जमीन को सुरक्षित करने, मजदूरों के लिए रोजगार सुनिश्चित करने और हर साल पट्टा बदलने की समस्या से निजात दिलाने के लिए यह विधेयक अत्यंत महत्वपूर्ण है।

विपुल गोयल ने विधानसभा में स्पष्ट किया कि किसानों की जमीन के प्रति किसी भी प्रकार की असुरक्षा नहीं रहेगी। चाहे जमीन कितने भी वर्षों के लिए पट्टे पर हो, पट्टेदार सदैव किरायेदार ही रहेगा। किरायेदार के हितों की रक्षा के लिए यह प्रावधान है कि वह बैंक या अन्य वाणिज्यिक संस्थानों से सीधे ऋण ले सकेगा और मुआवजा भी सीधे प्राप्त करेगा। इसमें जमीन मालिक का हस्तक्षेप नहीं होगा।

किसान और पट्टेदार के बीच हुए अनुबंध को तहसीलदार के पास पंजीकृत कराया जाएगा, जिससे उन्हें सरकारी सुरक्षा का दायरा मिलेगा। किसी समस्या की स्थिति में समाधान असिस्टेंट कलेक्टर या एसडीएम कोर्ट के स्तर पर किया जाएगा। इस विधेयक में 13 प्रावधान हैं, जो किसानों और पट्टेदारों दोनों के हितों को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। अनुबंधों के पंजीकरण के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा।

लोकतंत्र के लिए संतोषजनक बात यह है कि इस विधेयक पर विपक्ष ने कोई विरोध नहीं किया और इसे सर्वसम्मति से पारित किया गया। राजनीतिक और कृषि कानून विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार ने एक सर्वहितकारी विधेयक पेश किया है। यह 15वीं विधानसभा में विपुल गोयल द्वारा प्रस्तावित पहला विधेयक था, जो निर्विरोध पारित हुआ।

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