KhabarNcr

मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स में सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) का आयोजन किया

आईसीयू में मरीज दिन-ब-दिन कमजोर हो सकते हैं और बेहतर स्वास्थ्य लाभ और विकलांगता को रोकने के लिए उन्हें रिहैबिलिटेशन (मरीज की शारीरिक, मानसिक या कॉग्निटिव समस्याओं पर एक साथ फोकस करना) की आवश्यकता होती है

• सीएमई के माध्यम से मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद का उद्देश्य आईसीयू में मरीजों में बेहतरीन परिणामों के लिए फिजियोथेरेपी के उपयोग और कौशल को बढ़ाना है

खबरेंNcr रिपोर्टर पंकज अरोड़ा फरीदाबाद: 24 मई,  मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद ने बेहतरीन परिणामों के लिए आईसीयू में फिजियोथेरेपी के महत्व पर जागरूकता बढ़ाने और मरीजों में विकलांगता को रोकने के लिए एक सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) सत्र का आयोजन किया। सीएमई का विषय ‘एक क्रिटिकल केयर यूनिट से मरीजों के परिणामों में सुधार के लिए फिजियोथेरेपी के महत्व’ ज्ञान, कार्रवाई और जवाबदेही पर आधारित था। सीएमई का उद्देश्य आईसीयू मरीजों पर लंबे समय तक बेड रेस्ट और मैकेनिकल वेंटिलेशन (मरीज को सांस लेने में मदद करने वाली मशीन) के नकारात्मक प्रभाव को रोकने के लिए फिजियोथेरेपी को एक अत्यावश्यक हस्तक्षेप के रूप में पेश करना है। सीएमई का नेतृत्व डॉ हिमांशु दीवान, एसोसिएट डायरेक्टर और एचओडी, क्रिटिकल केयर मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद और डॉ कपिल चौहान, क्रिटिकल केयर रिहैबिलिटेशन, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद ने किया।

इस कार्यक्रम में मानव रचना विश्वविद्यालय, एसजीटी विश्वविद्यालय, के. आर. मंगलम विश्वविद्यालय और एमवीएन विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों से लगभग 80 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस दौरान कार्डियो रेस्पिरेटरी फिजियोथेरेपी का मुख्य उद्देश्य, क्रिटिकल केयर मानदंड, केस चर्चा और इंटेंसिविस्ट का दृष्टिकोण और फिजियोथेरेपी पर उनके विचार आदि विषयों पर चर्चा की गई।

क्रिटिकल केयर उन मरीजों के लिए बेहतरीन देखभाल है जो बहुत ही जोखिम भरी स्थिति में आते हैं और इसलिए उन्हें आईसीयू में निरंतर निगरानी के साथ अत्यधिक व्यापक देखभाल की आवश्यकता होती है। इन मरीजों को लंबे समय तक शारीरिक और मानसिक जटिलताओं का सामना करना पड़ता है। उन्हें आमतौर पर वेंटिलेशन पर रखा जाता है जो आमतौर पर उन्हें कमजोर कर देता है। मरीजों को अत्यधिक शारीरिक कमजोरी के साथ जीवन की खराब गुणवत्ता, मांसपेशियों की कार्य क्षमता में गिरावट, बीमारी की दर में वृद्धि, मृत्यु दर और अस्पतालों में लंबे समय तक रहने जैसी समस्याएं आती हैं।

मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स के ग्रुप मेडिकल डायरेक्टर लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. अरूप कुमार दास ने प्रतिनिधियों का स्वागत किया और कहा कि मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स ने हमेशा ‘रोगी पहले’ दृष्टिकोण के साथ वैश्विक मानकों के अनुरूप क्लिनिकल एक्सीलेंस का लक्ष्य रखा है। हमारे मल्टी-सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल्स में अत्याधुनिक सुविधाएं और प्रतिष्ठित विशेषज्ञ चिकित्सक हैं, जो देशीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों मरीजों को लाभ प्रदान करते हैं। हम अत्यधिक एडवांस्ड शैक्षणिक और रिसर्च प्रोग्राम भी प्रदान करते हैं।

डॉ. हिमांशु दीवान, एसोसिएट डायरेक्टर और एचओडी, क्रिटिकल केयर, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद ने कहा कि चलना-फिरना न होने के कारण आईसीयू में मरीज तेजी से कमजोर हो जाते हैं। मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, जोड़ों में अकड़न आ जाती है और स्वास्थ्य बिगड़ जाता है। इस तरह की निरंतर स्थितियों के परिणामस्वरूप आंशिक या पूर्ण विकलांगता भी हो सकती है। जॉइंट्स की गतिविधि को बहाल करने, मांसपेशियों की गतिशीलता को बनाए रखने और शारीरिक शक्ति में सुधार करने में फिजियोथेरेपिस्ट की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह मस्कुलोस्केलेटल की गिरावट को रोकता है और शरीर की फिजिकल स्ट्रेंथ (शक्ति) को ठीक बनाये रखता है। यह फेफड़ों की क्षमता और शक्ति को बनाए रखने में भी मदद करता है, फेफड़ों को ऑक्सीजन युक्त और वेंटिलेटेड बनाए रखता है और मरीज को हर तरह की गिरावट से बचाता है। मरीज को अधिकतम लाभ देने के लिए पेशेंट मैनेजमेंट के दौरान उपयुक्त बिंदु पर फिजियोथेरेपिस्ट को शामिल करने में क्रिटिकल स्पेशलिस्ट काफी मदद करते हैं।

चिकित्सा से जुडी चुनौतियों के सभी चरणों में दर्द से राहत तक, गतिहीनता से निरंतर गतिशीलता बहाल करने तक, संभावित विकलांगता से गतिशीलता को अधिक बढ़ाने और बॉडी के फंक्शन से लेकर मरीज के जीवन की गुणवत्ता में फिर से जान डालने तक में फ़िज़ियोथेरेपिस्ट की बेहद अहम् भूमिका होती है। विकलांगता का रोगियों पर आर्थिक असर, सामाजिक प्रभाव और शारीरिक बोझ को दर्शाने वाले अन्य प्रभाव के अलावा गंभीर मानसिक प्रभाव भी पड़ता है।

डॉ. कपिल चौहान क्रिटिकल केयर रिहैबिलिटेशन, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद ने कहा कि कार्डियो-रेस्पिरेटरी फिजियोथेरेपी फिजियोथेरेपी की सुपर स्पेशियलिटी शाखाओं में से एक है और यह क्रिटिकल केयर (विभिन्न श्वसन या हृदय रोगों से पीड़ित या ठीक हो रहे आईसीयू मरीज) के प्रबंधन और उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चेस्ट फिजियोथेरेपी का उद्देश्य रोगी की सांस लेने की क्षमता में सुधार करना, सांस की तकलीफ को नियंत्रित करना और सामान्य कंडीशनिंग में सुधार करना, श्वसन मार्ग से थूक की निकासी के साथ फेफड़ों की स्वच्छता बनाए रखना, जल्दी मोबिलाइजेशन (चलना), और आईसीयू में कम रहना और हॉस्पिटल से जल्दी छुट्टी दिलाना है।

मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स के रीजनल डायरेक्टर डॉ. अजय डोगरा ने कहा कि स्वास्थ्य सेवा कोविड के दौरान फेफड़ों की कार्यप्रणाली को बहाल करने के लिए फिजियोथेरेपी की महत्वपूर्ण भूमिका की गवाह है। जिन मरीजों ने फिजियोथेरेपी के लिए अच्छी प्रतिक्रिया दी, वे बच गए, और हमने क्रिटिकल केयर में रोगियों के इलाज में योगदान देने में फिजियोथेरेपिस्ट की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचाना। मरीजों के व्यापक रिहैबिलिटेशन के लिए चिकित्सा के एक महत्वपूर्ण और सहायक हिस्से के रूप में महामारी के बाद से रिहैबिलिटेशन की यह शाखा तेजी से उभरी है।

Get real time updates directly on you device, subscribe now.

You might also like

You cannot copy content of this page