– ग्रामीणों ने 6 नवंबर को बुलाई है बड़ी बैठक, हो सकता है फैसला।
– निर्विरोध पंचायत की मुहिम का व्यापक असर, दो वार्ड में निर्विरोध पंच चुने गए।
फरीदाबाद: 03 नवंबर, शनिवार से पंचायती राज संस्थानों के चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया की शुरूआत हो जाएगी। साथ ही गाँव में पंच-सरपंच के जोर-अजमाइश भी शुरू हो गई।
लेकिन, जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर मोहना-छायंसा रोड स्थित गाँव गढ़खेड़ा के ग्रामीण इसबार नई पहल पर काम कर रहे हैं। ग्रामीणों इसबार गाँव में निर्विरोध महिला ग्राम पंचायत गठित कराना चाहते है। जिसके गाँव पिछले डेढ महीने से कवायद जारी है। ग्रामीणों ने निर्विरोध पंचायत पर अंतिम फैसला लेने के लिए 6 नवंबर को खेड़ा देवता मंदिर पर बड़ी बैठक बुलाई है। पूरी संभावना है कि बैठक में पढ़ी-लिखी महिला अथवा बेटी को निर्विरोध सरपंच के रूप में चुन लिया जाएगा।
बता दें गढ़खेड़ा में निर्विरोध पंचायत के गठन के लिए अब तक तीन बड़ी बैठकें हो चुकी हैं। ग्रामीणों का कहना है कि गाँव में इतिहास में अब तक तीन बार निर्विरोध सरपंच बन चुके हैं। वर्ष 1959 में पंडित परसी, 1960 में कर्ण सिंह नंबरदार और 1965 में चौधरी हरलाल को सर्वसम्मति से सरपंच चुना गया था। इसके बाद गांव में लगातार सरपंच पद के लिए वोटिंग प्रक्रिया अपनाई जा रही है। ग्रामीण युवा इसबार वोट की बजाए सर्वसम्मति बनाने की कोशिश कर रहे है।
गाँव में सर्वसम्मति बनाने के लिए अब तक तीन बड़ी बैठकें व दर्जनों नुक्कड बैठकें कर चुके हैं। जिसमें अधिकांश भावी सरपंच पद के उम्मीदवारों ने गाँव-बस्ती के फैसले का स्वागत किया। निर्विरोध पंचायत मुहिम से जुड़े वीरेंद्र फौजी, प्रताप सांगवान, सुरेंद्र सांगवान, मास्टर चंद्रपाल, नेत्रपाल, सुनील सैनी, जयप्रकाश वशिष्ठ, रामपाल लोर, खेमचंद मास्टर, चौधरी डालचंद, बाबूराम कश्यप का कहना है कि गाँव के बुर्जुगों ने सौहार्द व भाईचारे की ताकत से गाँव में कई ऐतिहासिक काम किए थे।
गाँव के सरकारी स्कूल को पांचवी से 10वीं तक कराया गया। वोट-बैंक की राजनीति भाईचारे को नुकसान पहुंचाती है। यह गाँव के विकास में भी अक्सर अड़चन पैदा करती रही है। इसलिए ग्रामीण गाँव में निर्विरोध पंचायत चाहते है। इस मुहिम का व्यापक असर भी दिखाई देने लगा है। अधिकांश वार्ड में निर्विरोध पंचों का चुनाव किया जा रहा है। अब तक दो पंचों को चुन लिया गया है।