खबरेंNcr रिपोर्टर पंकज अरोड़ा फरीदाबाद: 23 अगस्त, अतिक्रमण का तो अवसर तो मिलना ही चाहिए फिर वह खुद प्रशासनिक अधिकारी प्रदान करें या हमें खुद ऐसे अवसर तलाशने पड़े पर इस परंपरा को हमने न खत्म करने का तो मानो एक संकल्प ही ले रखा है।
जंहा एक तरफ अवैध निर्माण हो या फिर बाजारों में रेहड़ी पटरी वाले हो और शहर के प्रमुख चौराहे पर अपनी आजिविका कमाने वालों की रेहड़ी हो, प्रशासन उन्हें कतई नहीं बरदाश्त करता निगम का पीला पंजा तुरंत उन्हें ढहाने के लिए पंहुच जाता हैं, लेकिन
एन आई टी का प्रमुख पार्क जोकि नगर निगम से लगभग सटा हुआ है उसमें जनसुविधाओं पर अतिक्रमण होना हमारे निरंकुशता की पराकाष्ठा को दर्शता है। जहां वाहनों की पार्किंग होनी चाहिए थी लेकिन वहां लखनऊ की मशहूर शिकंजी* बेचने वालों ने अपनी की रेहड़ियों की पार्किंग कर स्वतंत्र भारत में अपने नागरिक अधिकारों का पूर्ण स्वतंत्रतापूर्वक सदुपयोग या दुरूपयोग किया है यह हम सब के लिए विचारणीय और प्रशासन के लिए संज्ञान ले कर उचित कार्यवाही करने के लिए आवाहन है।
स्वतंत्र देश में अगर नागरिकों को अतिक्रमण की ही स्वतंत्रता नहीं तो फिर स्वतंत्रता दिवस मनाने का क्या फायदा?* मानसिकता इस हद तक हो चुकी है कि कानून का उलंघन, सांठ गांठ कर नैतिक अनैतिक तौर तरीके से मुफ्त में कुछ भी कहीं भी मिले हड़प लो फिर कहो की हम तो इतने सालों से इस जगह रह रहे हैं अब इस पर हमारा हक है।
ईमानदारी आंतरिक रूप से अनुशासन से संबंधित होती है वहीं भारत में लोक जीवन से अनुशासन दिन-प्रतिदिन कम होता जा रहा है। जिस दिन हम ऐसी मानसिकता से स्वतंत्र होकर, एक ईमानदार नागरिक बनेंगे वही सही मायने में देश का स्वतंत्रता दिवस होगा।
लेखक *वसु मित्र सत्यार्थी*