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आर्य समाज एन एच 3 में चार दिवसीय आध्यात्मिक शिवर का समापन

पंकज अरोड़ा की रिपोर्ट/फरीदाबाद: वैदिक विदूषी मुनि अर्पिता के सानिध्य एवं मार्गदर्शन में चार दिवसीय आध्यात्मिक शिवर का समापन समारोह का शुभारंभ यज्ञ ब्रह्मा आचार्य विवेक शास्त्री द्वारा विशेष यज्ञ और मंत्रोच्चारण द्वारा किया गया। तत्पश्चात भजनोपदेशक जितेंद्र सरल द्वारा मधुर भजनों द्वारा भक्ति रस का संचार किया तथा बताया कि महर्षि दयानन्द सरस्वती ने वेदों को सर्वोच्च आध्यात्मिक ज्ञान का स्रोत माना और उन्हें सभी धर्मों में सबसे प्राचीन और सत्य बताया। उन्होंने वेदों की व्याख्या करने और उन्हें लोगों तक पहुंचाने के लिए कई किताबें लिखीं। हम दिखाते मार्ग पर चलने के प्रयासरत रहें।

आर्य समाज NH 3 फरीदाबाद के प्रांगण में दिनांक 1 मई से 4 मई 2025 तक आध्यात्मिक शिविर के सफल आयोजन में फरीदाबाद, दिल्ली, गुरुग्राम, अलवर इत्यादि से आए लगभग 30 शिविरार्थियों ने उत्साह पूर्वक भाग लिया। प्रतिदिन प्रातः 5 बजे ईश्वर उपासना से दिनचर्या प्रारंभ करके रात्रि 9:30 बजे तक विभिन्न सत्रों में योग, दर्शन, उपनिषद्, आत्म चिंतन की कक्षाएं लगाई गईं। समापन सत्र में शिविरार्थियों ने अपने अनुभव सांझा किए और बताया कि हमें पुनर्जन्म जैसा अनुभव हो रहा है ।

मुनि अर्पिता ने सभी से प्रतिदिन उपासना और ईश्वर चिंतन करने का आग्रह किया। उन्होंने बताया कि हमारे जीवन का लक्ष्य आत्मा और परमात्मा के सत्य स्वरूप को जानना और मानना है और हमें अपने पूरे पुरुषार्थ के साथ इसका प्रयास करना चाहिए। असंयम से अपने शरीर को बर्बाद होने से रोकें और संयम से अपने को शक्तिशाली प्रभाववान तथा बुद्धिमान बनाएं। यही सुखी व स्वस्थ जीवन का राजमार्ग है। भगवान की भक्ति और सेवा करते हुए अपने जीवन को जीना। यह जीवन को एक उद्देश्य देता है, आनंद और शांति प्रदान करता है, और व्यक्ति को जीवन के दुखों और कष्टों से उबरने में मदद करता है। शिविर की संयोजिका सन्तोष मदान ने शिविर के सफल आयोजन में सहयोग के लिए सभी का धन्यवाद किया ।

इस अवसर पर सुरेश गुलाटी, जगदीश विरमानी, आनंद स्वरूप चावला, संदीप आर्य, वसु मित्र सत्यार्थी, वीरेंद्र आर्य, योगेंद्र फोर, कुलभूषण सखुजा, रविंद्र गुप्ता, प्रेम बहल, सुषमा बजाज, ईश्वर देवी, प्रेम लतता गुप्ता, संघमित्रा कौशिक, सुरिंदर कुमारी, पुष्पा आहूजा, ज्ञान आहूजा तथा अनेक आर्य समाज के प्रतिनिधि कार्यक्रम में शामिल हुए।

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