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सत्संग भवन को नया स्वरूप देने के लिए विधिवत म़ंत्रोचारण से पूजा कर शुभारंभ किया गया

खबरेंNcr रिपोर्टर पंकज अरोड़ा फरीदाबाद: 23 अक्टूबर, आर्य समाज के संस्थापक महाऋषि दयानंद सरस्वती की सार्वभौमिकता कृण्वन्तो विश्वम् आर्यम् के सिधांत और उनकी शिक्षा के प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से 1974 में आर्य समाज मंदिर की स्थापना की गई। संस्थापक सदस्यों की अथक मेहनत और लगन के परिणामस्वरूप धीरे धीरे आर्यजन जुड़ते गये और सत्संग भवन निर्माण में सहयोगियों के प्रयासों से भव्य सत्संग व अन्य सुविधाओं का निर्माण संभव हुआ।

सत्संग भवन को एक नया स्वरूप और आधुनिक सुविधा युक्त बनाने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए कार्यकारिणी ने इसके निर्माण का सर्वसम्मति से निर्णय लिया। रामनवमी के शुभ अवसर पर विधिवत म़ंत्रोचारण से पूजा कर शुभारंभ किया गया।

इस अवसर पर कुलभूषण सखुजा, कर्मचंद शास्त्री, योगेंद्र फोर, प्रदीप गुलाटी, वसु मित्र सत्यार्थी, विकास भाटिया, कुलदीप गोयल, जोगिंदर कुमार, संजय सखुजा, मनोज वोहरा, संदीप गोयल, कौशल वोहरा, निर्मल भाटिया, ऊषा गुलाटी, रितु गोयल विशेष रूप से उपस्थित रहे।

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