पंकज अरोड़ा की रिपोर्ट फरीदाबाद: 09 सितंबर, आर्य केंद्रिय सभा (नगर निगम क्षेत्र) के तत्वाधान में विभिन्न आर्य समाजों में 8 दिवसीय वेद प्रचार महोत्सव का समापन कार्यक्रम, आर्य प्रतिनिधि सभा, हरियाणा के अध्यक्ष देशबंधु आर्य की अध्यक्षता में आर्य समाज सैक्टर 7 में आयोजित हुआ जिसमें बढ़ी संख्या में विभिन्न आर्य समाज के प्रतिनिधि सम्मिलित हुए।
प्रसिद्ध आर्य भजनोपदेशक आचार्य सतीश सत्यम ने जीवन में वैदिक संस्कारों की महत्ता को अपने सुंदर और प्रेरक भजनों के माध्यम से प्रस्तुत किया।
मुख्य वक्ता आर्य विद्वान डा. नरेंद्र वेदालंकार ने अपने उद्बोधन में बताया कि वेद से तात्पर्य ज्ञान से है, वैदिक मार्ग से तात्पर्य उस मार्ग से है जो ज्ञान-पूर्ण ज्ञान-शुद्ध ज्ञान- प्राकृतिक विधान के पूर्ण सामथ्र्य पर आधारित है, यह सृष्टि एवं प्रशासन का मुख्य आधार है, जो सृष्टि की अनन्त विविधताओं को पूर्ण सुव्यवस्था के साथ शासित करता है इसीलिये वेद को सृष्टि का संविधान भी कहा गया है। आत्मा का भोजन अध्यात्मिक शक्ति है और उसी से उसकी संतुष्टि होती है। आत्मा को पूर्ण संतुष्टी अपने उत्पत्ति स्त्रोत परमात्मा परमेश्वर के मिलन से ही होती है। प्रभु हर जगह विद्यमान हैं, मगर देखने वाले की आंतरिक दृष्टि अगर भगवान की तरफ हो तो उसे चारों तरफ भगवान नजर आते हैं। भगवान को नजदीक पाना या न पाना इंसान की हाथ में है। जब इंसान मन को एकाग्र कर अपने भीतर ईश्वर का अनुभव करता है तो उसे हर तरफ भगवान का स्वरूप ही दिखाई देता है।
कार्यक्रम में कन्हैया लाल आर्य, मंत्री परोपकारिणी सभा, अजमेर, कर्म चंद शास्त्री, निष्ठाकर आर्य, शिव कुमार टुटेजा, वसु मित्र सत्यार्थी, संजय आर्य, सुधीर बंसल, अजीत आर्य, मानस शास्त्री, साकेत कौशिक, सतीश कौशिक, विनोद कुमार मोदी, नंदलाल कालरा, प्रेम बहल, संघमित्रा कौशिक, ऊषा कालरा, निर्मल भाटिया, नर्वदा शर्मा, प्रतिभा यति, प्रकाशवती तथा बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण सम्मिलित हुए।