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राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस पर सम्मान समारोह का आयोजन किया गया 

खबरेंNcr रिपोर्टर पंकज अरोड़ा नई दिल्ली:18 नवंबर एलिमेंट्स सॉल अकैडमी एवं काउंसिल फॉर एलाइड एंड हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स के द्वारा नई दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में राष्ट्रीय स्तर के सम्मेलन एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया जिसमें देश भर से प्राकृतिक चिकित्सा क्षेत्र में कार्य कर रहे चिकित्सकों ने अपने विचार प्रस्तुत किए एवं प्राकृतिक चिकित्सा के भविष्य को देखते हुए तथा आगामी वर्षों में इस क्षेत्र में विकास की दर वृद्धि हेतु प्रयत्न करने के लिए प्राकृतिक चिकित्सा क्षेत्र को प्राथमिक श्रेणी प्रदान करके जीवन शैली का हिस्सा बना कर रोजमर्रा के जीवन में स्वस्थ रहने एवं कृत्रिम रसायनों के प्रयोग को कम करने तथा उनसे होने वाले शरीर पर गंभीर प्रभावों से बचने के लिए समाज को जागरूक करने तथा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा लागत को काम करने के लिए प्रयत्न करना तथा प्राकृतिक चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण को भविष्य के चिकित्सकों तक सुरक्षित रखना l

भारत की पौराणिक चिकित्सा पद्धति एवं आयुर्वेद योग एवं प्राकृतिक तरीके से अन्य पद्धतियों का प्रयोग करते हुए शारीरिक स्वस्थता के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरूक करना एवं इसे सहज स्वभाव से स्वीकारने के प्रति प्रशिक्षण प्रदान करना ताकि अन्य रोजमर्रा के जीवन में होने वाले छोटे-मोटे संक्रमण एवं खांसी जुकाम बुखार दस्त इत्यादि के प्रति लोगों को जागरूक करना क्योंकि आज के त्वरित युग में लोग छोटे से संक्रमण में भी इस प्रकार की दवाइयां का प्रयोग करते हैं जिससे रोग के लक्षणों को दबा दिया जाता है और रोग को स्थाई कर दिया जाता है जबकि आयुर्वेद एवं प्राकृतिक चिकित्सा में इन रोगों से पूर्णतया निजात पाई जा सकती है लेकिन क्योंकि ज्ञान का अभाव है इसलिए लोग व्यावसायिक एवं निजी कार्यों को समय के अभाव के कारण संयुक्त होने से स्वयं के स्वास्थ्य के प्रति समय नहीं दे पाते इसलिए एलोपैथी दवाइयां का सेवन करके लगातार काम करते रहते हैं और शरीर से जमा गंदगी जीने आयुर्वेद में चार प्रकार के मल कहा गया है यदि इनका शरीर से सही समय पर ना निकल जाए तो यह रोग रूप धारण कर लेते हैं और जो भविष्य के लिए शरीर के अंदरूनी अंगों पर नकारात्मक प्रभाव छोड़ते हैं जिससे शरीर धीरे-धीरे गंभीर रोग रूप धारण कर लेता है जिसका समय जितना अधिक होगा उसके इलाज में भी उतना ही अधिक समय लगेगा अतः प्राकृतिक चिकित्सा जीवन शैली में परिवर्तन का आधार है यदि सभी व्यक्ति प्राकृतिक रूप से स्वस्थ रहना चाहते हैं तो उन्हें अपने प्राकृतिक जीवन में ही कुछ जीवन शैली से संबंधित परिवर्तन करने होते हैं जिसके कारण वह शरीर को चुस्त दुरुस्त एवं स्वस्थ रख सकते हैं l इस राष्ट्रीय स्तर के सम्मेलन में समस्त भारत से तकरीबन सभी राज्यों से अनेकों प्राकृतिक चिकित्सा क्षेत्र में अपनी वर्षों से सेवाएं दे रहे प्राकृतिक चिकित्सा सम्मिलित हुए जिन्होंने एकमत होकर काउंसिल फॉर एलाइड एंड हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स के साथ मिलकर तथा एलिमेंट्स सोल अकैडमी के अंतर्गत शिक्षा अनुसंधान एवं प्राकृतिक चिकित्सा क्षेत्र में हो रहे तथ्यों पर आधारित आंकड़ों के आधार पर अपने-अपने क्षेत्र में अलग-अलग लोगों पर प्राकृतिक चिकित्सा के अभ्यास को दस्तावेज संग्रहण करने का भी कार्य करेंगे जिससे आने वाले समय में अगले 10 साल में कितने लोगों को प्राकृतिक चिकित्सा के माध्यम से स्वस्थ किया जा सका इसका सही जायजा रिकॉर्ड किया जाए l

इस सम्मेलन में प्रमुख अतिथि के तौर पर डॉ. जे सी बालचंद्र तथा अन्य अतिथियों के तौर पर, डॉ श्वेता राय, डॉ मनमोहन कौर शेट्टी, डॉ. निशा भारती सिंह, बाबा साहब मोटे, संदीप धोत्रे, देवराज खतरा, सुमित गुलगुले, अशोक मंडवानी,  योगेश कुमार द्विवेदी, सुमन शर्मा, रीना कुमारी, श्रवण कुमार सैनी, रीना, कुमारी, दीपक चौधरी, डॉ चित्रा राव, प्रोफेसर करुणा चांदना एवं आयुष मंत्रालय से काउंसिल फॉर रिसर्च इन नेचरोपैथी एंड योग डॉ दिनेश उपाध्याय तथा मिनिस्ट्री ऑफ़ वीमेन एंड चाइल्ड डेवलपमेंट दिल्ली गवर्नमेंट से वरिष्ठ जिला अधिकारी मनोज चंद्रा ने काउंसिल फॉर एलाइड एंड हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स की अध्यक्ष एवं डायरेक्टर डॉ निकी डबास तथा एलिमेंट्स सॉल्व अकादमी की फाउंडर डायरेक्टर डॉ श्वेता राय के साथ मिलकर प्राकृतिक चिकित्सा क्षेत्र में कार्य कर रहे विभिन्न अनुभवी चिकित्सकों को सम्मानित किया l

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