पंकज अरोड़ा की रिपोर्ट/फरीदाबाद: आर्य केंद्रीय सभा, नगर निगम क्षेत्र के 8 दिवसीय वेद प्रचार महोत्सव के चौथे दिन के सांयकालीन सत्र का आयोजन आर्य समाज सैक्टर 7 में किया गया। कार्यक्रम में आर्य विद्वान व भजनोपदेशक जितेंद्र सरल व रामबीर आर्य ने मधुर भजनों ने मधुर भजनों से सबका मन मोह लिया।
प्रख्यात आर्य उपदेशक आचार्य हरिशंकर अग्निहोत्री ने कहा कि ईश्वर को एक सर्वव्यापी, सर्वज्ञ, और सर्वशक्तिमान सत्ता के रूप में माना जाता है। ईश्वर जड़ और चेतन दोनों में मौजूद है, यह दर्शाता है कि ईश्वर हर चीज में व्याप्त है।
मानव जन्म कठिन तपस्या और त्याग करने के बाद ही प्राप्त होता है। मनुष्य का यह दायित्व है कि वह ईश्वर के दिए इस अनमोल तोहफे का सदुपयोग करे और अपने जीवन को सामाजिक और धार्मिक कार्यों में ही लगाए।
जीवन को पांच विकारों से दूर कर, सात गुणों की ओर लेकर जाएं। । पांच तरह के विकार होते हैं काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार। आत्मा के सात गुण हैं – पवित्रता, शांति, शक्ति, प्यार, खुशी, ज्ञान और गंभीरता। एक तरफ पांच विकार हैं तो दूसरी तरफ सात गुण हैं। हमें इन विकारों को त्याग सतगुणों को अपने आचार व्यवहार में समाहित कर ईश्वर प्राप्ति का प्रयास करना चाहिए। हमारे कर्मों का लेखा जोखा ईश्वर के पास है, हर हाल में देख रहा और जान रहा है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता आर्य केंद्रीय सभा के अध्यक्ष आचार्य ऋषिपाल ने की और वेद प्रचार महोत्सव में अधिक से अधिक संख्या में आकर महर्षि दयानन्द सरस्वती के दिखाते मार्ग पर चल अपने जीवन को सफल बनायें कोषाध्यक्ष सतीष कौशिक ने कार्यक्रम में विभिन्न आर्य समाज के प्रतिनिधियों के सम्मिलित होने पर सबका धन्यवाद किया। देशबंधु आर्य, शिव कुमार टुटेजा, वसु मित्र सत्यार्थी, एस पी अरोड़ा, सुधीर कुमार बंसल, डा. हरिओम शास्त्री, रामबीर नाहर, प्रएमलता गुप्ता, संघमित्रा कौशिक, प्रेम बहल, विमल सचदेवा, ऊषा चितकारा विशेष रुप से कार्यक्रम में शामिल हुए