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मानव कल्याण के लिए सर्व समाज का एक जुट होना जरूरी: मनीकुमार


फरीदाबाद: 28 सितंबर, भारतीय सद्भावना समिति (बीएसएस) के तत्वाधान में डबुआ स्थित भोजपुरी अवधि समाज धर्मशाला में सत्य शोधक समाज के स्थापना दिवस एवं पूना पैक्ट की याद में सर्व समाज की विचार संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर प्रसिद्ध लेखक एवं दलित चिंतक मनीकुमार ने अपने विचार रखते हुए कहा मानव कल्याण के लिए सर्व समाज को जातियों के भेदभाव को मिटाते हुए एक जुट होना बहुत जरूरी है। उन्होने कहा किसी भी देश का विकास सभी देशवासियों के सहयोग से होता है। महात्मा ज्योतिबा फूले ने विभिन्न जातियों में बटे समाज को एक जुट करने के लिए 24 सितम्बर 1873 को सत्य शोधक समाज की स्थापना की थी। उस समय उन्होने महिलाओं को शिक्षित करने का काम शुरू किया, और सबसे पहले अपनी पत्नी माता साबित्री बाई फूले को शिक्षित किया। महात्मा फूले सैनी जाति से थे लेकिन उस समय उन्होने अंधविश्वास, पाखंडवाद और धर्म की आड में की जाने वाली मनुवादियों की मनमानी पर रोक लगाने की जनक्रांति की शुरूआत की। उन्होने पूना पैक्ट पर भी अपने विचार सांझा किए। उन्होने कहा जीवन में मान्यताओं की सच्चाइयों का पता लगाना चाहिए। अगर कोई बात सत्य नहीं है, और मानव कल्याण के लिए नहीं है, तो उसका त्याग करना होगा। उन्होने कहा शिक्षा के क्षेत्र में अतुल्य कार्य के लिए अंग्रेजो ने पहली बार वंचित समाज के सामाजिक कार्यकर्ताओं को शाल ओढ़ाकर सम्मान दिया, और शिक्षा के प्रसार के लिए स्कूल खोलने के लिए जमीन दी।
संगोष्ठी में प्रोफेसर ज्योति चौहान ने कहा दीनबंधू सर छोटूराम द्वारा आमजन जो खेती का काम करते थे, उनको किसानी का अधिकार दिलाने के लिए आंदोलन किया था। उसी के लिए उनको दीनबंधू कहा जाता है। संगोष्ठी में इंजीनियर रंजीत सिंह ने बाबा साहेब और महात्मा फूले द्वारा देश के लिए किए गए कार्यों की चर्चा करते हुए कहा यदि इन महापुरूषों ने त्याग और अपने सुखों की कुर्बानी देकर गरीब शोषित आमजन के लिए बिना जाति देखे काम न किया होता तो भारत की सैकडों जातियों के करोडों लोगों को इतने हक और अधिकार नहीं मिल पाते। डॉ. गोपीचंद सैनी ने कहा हर व्यक्ति को अपने जीवन से पाखंड और अंध विश्वास को निकाल देना चाहिए। उन्होने अपने सभी बच्चों का विवाह बिना दहेत के किया है। विचार गोष्ठी में पूर्व महापौर सुबेदार सुमन, डॉ. कवि ज्ञ्यानेन्द्र यादव, डॉ. ज्योति चौहान, युवा नेता जसवंत सैनी, डॉ. करनैल सिंह, युवा कवि भीमपाल सैनी, रामेश्वर ङ्क्षसंह प्रजापति, रघुवर दयाल, टीकम सिंह गौतम सहित अनेक लोगों ने विभिन्न विषयों पर अपने विचार रखे और भारतीयों को जातिवाद की जंजीरों से निकलने की अपील की।
इस अवसर पर भारतीय सद्भावना समिति (बीएसएस) के अध्यक्ष ओम प्रकाश अहीरवार ने बताया कार्यक्रम में यादव सभा, डॉ. अम्बेडकर चैरीटेबल ट्रस्ट, सैनी समाज अधिकार मंच, सामुहिक पूर्वांचल सभा, हैल्पर क्लब फरीदाबाद, सहित अनेक संस्थाओं के पदाधिकारियों ने भाग लिया। इन सभी महानुभावों को बीएसएस की तरफ से ज्योतिबा फूले द्वारा लिखित अद्भुत किताब गुलामगीरी और माता सबित्री बाई फू ले की जीवनगाथा किताब स्मृति चिन्ह के रूप में भेंट की। संगोष्ठी में रामाधार, बृजेश कुमार, एडवोकेट लखपत राय, सतीश कुमाी, महीपाल, रामकुमार वर्मा, अरूण कुमार, सत्येन्द्र कुमार, विजय चौहान, राकेश जाजोरिया, चन्दर डाबरा, सहित अनेक लोगा मौजूद रहे।

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