पंकज अरोड़ा की रिपोर्ट/फरीदाबाद: अंधेरे में अच्छी तरह देख पाने का गुण तो प्रभु ने सिर्फ उल्लु को ही दिया है पर क्या हम इंसान भी उल्लु बन सकते हैं ताकि रात को फरीदाबाद की पर स्ट्रीट लाइट न जलने की अवस्था में भी अंधेरे में देख कर चल सकें या सुरक्षित रुप से वाहन चला सकें। कहीं ऐसा तो नहीं कि हम प्रशासन के दावों में उल्लु बन रहे हैं कि सड़कें शीघ्र ही स्ट्रीट लाइट से चमकने लगेंगी और प्रशासन सोच रहा हो कि जनता को उल्लु तो बना ही दिया है, अब अंधेरी सड़को पर अपनी सुरक्षा जनता खुद ही सुनिश्चित कर लेगी।
एन आई टी 3 नंबर दो मुख्य सड़के अंधेरे में डूबी रहती हैं, एक 3सी ब्लॉक स्पोर्ट्स कंपलेक्स के सामने और दूसरी सबसे व्यस्तम मेट्रो रोड। अंधेरे में डूबी इन सड़कों पर अंधेरा होने से सुरक्षा का संकट पैदा होता है।
रात में चलने-फिरने वाले लोग, खासकर महिलाएं और बच्चे, असुरक्षित महसूस करते हैं। अंधेरे का फायदा उठाकर अपराधी आसानी से वारदातों को अंजाम दे सकते हैं, जिससे सार्वजनिक व्यवस्था पर सवाल उठता है। जहाँ बारिशों में आये दिन सड़को पर गढ्ढों आदि के कारण सर रोज़ हादसे हो रहे हैं, सड़को पर अंधेरा ऐसी घटनाओं का बहुत बढ़ा कारण बन सकता है।
*वसु मित्र सत्यार्थी*
उसी ब्लॉक निवासी, समाज सेवी