बदलते मौसम और प्रदूषण के कारण फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों के मामले बढ़े, सावधानी बरतें: डॉ. सुनील नागर
पंकज अरोड़ा की रिपोर्ट/फरीदाबाद: बदलते मौसम और प्रदूषण के कारण फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। ग्रेटर फरीदाबाद सेक्टर 86 स्थित एकॉर्ड अस्पताल में आयोजित लंग्स डे कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. सुनील नागर ने बताया कि वर्तमान समय में 25 से 60 वर्ष की उम्र के लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। इनमें खासकर वे लोग शामिल हैं जो धूम्रपान करते हैं, अधिक समय तक बाहर प्रदूषण के बीच रहते हैं या जिन्हें पहले से अस्थमा, ब्रॉन्काइटिस जैसी बीमारियां रही हैं।
डॉ. सुनील नागर ने बताया कि पिछले एक महीने में औसतन 200 से अधिक नए केस अस्पताल में दर्ज किए गए हैं, जिनमें से करीब 40 प्रतिशत मरीजों को सांस लेने में तकलीफ, लगातार खांसी और सीने में जकड़न की समस्या पाई गई। वहीं 20 प्रतिशत मरीज गंभीर स्थिति में आईसीयू तक पहुंचे, जिनमें ज्यादातर बुजुर्ग और पहले से हृदय या डायबिटीज जैसी बीमारियों से ग्रसित लोग थे।
उन्होंने बताया कि फेफड़ों की बीमारियों में सबसे अधिक सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज), अस्थमा और निमोनिया के मरीज सामने आ रहे हैं। इन बीमारियों की मुख्य वजह बढ़ता वायु प्रदूषण, मौसम में अचानक बदलाव और खानपान में लापरवाही है। डॉक्टर ने कहा कि सुबह के समय टहलने से बचें, खासतौर पर जब वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) खराब हो। इसके अलावा धूम्रपान से पूरी तरह दूरी बनाए रखें और घर के अंदर भी धुएं या धूल-मिट्टी से बचाव करें। कार्यक्रम के दौरान लोगों को फेफड़ों की देखभाल से जुड़ी फ्री हेल्थ चेकअप और स्पाइरोमेट्री टेस्ट की सुविधा दी गई। डॉक्टर ने संदेश दिया कि फेफड़ों की बीमारी को हल्के में न लें। लगातार खांसी, बलगम, सीने में दर्द या सांस फूलने जैसी समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें। नियमित जांच और सही समय पर इलाज से न केवल रोग पर काबू पाया जा सकता है बल्कि गंभीर जटिलताओं से भी बचा जा सकता है।