हरियाणा: 04 जून, माॅनसून ने केरल में बेशक दो दिन देरी से पहुंचा है, लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि हरियाणा में भी देरी से आएगा है। आईएमडी के पूर्व निदेशक डाॅ. चतर सिंह मलिक के अनुसार, परिस्थितियां अनुकूल बनी रहीं तो यह समय या समय पूर्व भी दस्तक दे देता है। ऐसे में संभावना है कि प्रदेश में माॅनसून जून के आखिरी सप्ताह या जुलाई प्रथम सप्ताह में पहुंचेगा।
प्रदेश में माॅनसून सीजन यानी जून से सितंबर तक औसतन 460 मिलीमीटर बरसात होती रही है, लेकिन पिछले 10 साल में यह वर्ष 2018 में ही 415 मिलीमीटर तक पहुंच पाया था। 1990 के बाद 12 बार ही ऐसी स्थिति बनी है जब सामान्य या सामान्य से अधिक बरसात हुई है। जबकि 17 बार सामान्य से कम बरसात हुई है। 1995 में प्रदेश में सामान्य से 83 फीसदी अधिक बरसात हुई थी, तब बाढ़ की स्थिति बनी थी। वर्ष 1998 में सामान्य से 39.6 एमएम व वर्ष 2010 में सामान्य से 21 फीसदी अधिक बरसात हुई थी।
प्रदेश में करीब 32 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बिजाई होती है। इनमें सबसे अधिक पानी की खपत वाली करीब 15 लाख हेक्टेयर में धान, 6.5 लाख हेक्टेयर में कपास, 5 लाख हेक्टेयर में बाजरा, तीन लाख हेक्टेयर में ग्वार, दलहन फसलें, सब्जियां और चारा की फसलें शामिल हैं। इनको सिंचाई के लिए माॅनसून का पूरी तरह से सक्रिय रहना जरूरी होता है। तीन जून को नारनौल में दिन का तापमान 33.0 डिग्री दर्ज किया गया, जो सामान्य से 9 डिग्री कम रहा। हिसार में 37.1, करनाल में 35.0, भिवानी में 35.9 डिग्री तापमान रहा।