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38 वें सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला में सुगंध बिखेर रही ओडिशा की धूप अगरबत्तियां

आत्मनिर्भर भारत के साथ स्वदेशी उत्पादों की उपयोगिता का भी संदेश दे रही ओडिशा की विजय लक्ष्मी महापात्रा
– धूप-अगरबत्तियों से आत्मनिर्भरता और स्वदेशी उत्पादों को मिल रहा बढ़ावा

पंकज अरोड़ा की रिपोर्ट सूरजकुंड (फरीदाबाद), 17 फरवरी।
अरावली की वादियों में चल रहे 38 वें सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन आत्मनिर्भर भारत की झलक साफ तौर पर देखने को मिल रही है। देश भर में जहां शिल्पकार, बुनकर और कलाकार अपनी कला के जरिये प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं,वहीं सरकार द्वारा कला और संस्कृति के प्रोत्साहन में हर व्यक्ति को आवश्यक सुविधाएं प्रदान करते हुए उन्हे स्किल्ड बनाया जा रहा है ताकि 2047 तक आत्मनिर्भर भारत में शिल्पकारों का भी पूरा योगदान हो। मेले में आए देश विदेश के कलाकार,शिल्पकार व स्वयं सहायता समूह बेहतरीन प्लेटफार्म मिलने से खुश हैं। वे हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी और विरासत एवं पर्यटन मंत्री डॉ अरविंद कुमार शर्मा का आभार जता रहे हैं।

कौशल विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू की गई योजनाओं के सफल क्रियान्वयन को स्वयं सहायता समूह द्वारा मूर्त रूप दिया जा रहा है। सूरजकुंड मेले में अबकी बार थीम स्टेट उड़ीसा की विजयलक्ष्मी महापात्रा अपनी अनूठी धूपबत्तियों के साथ विशेष पहचान बना रही हैं। खुद के साथ ही स्वयं सहायता समूह बनाकर विजय लक्ष्मी दूसरों को स्वरोजगार की धारा से जोड़ रही हैं। विजय लक्ष्मी व उनके समूह द्वारा निर्मित 22 प्रकार की प्राकृतिक और सुगंधित धूपबत्तियां मेले में आने वाले पर्यटकों को न केवल आकर्षित कर रही हैं बल्कि आत्मनिर्भरता और स्वदेशी उत्पादों की उपयोगिता का भी संदेश दे रही हैं।
इस समूह ने पूरी तरह से प्राकृतिक सामग्री से बनी धूपबत्तियाँ तैयार की हैं। इनमें चंदन, केवड़ा, गुलाब, नागचंपा, रजनीगंधा, लौंग, इलायची और हवन विशेष जैसी 22 सुगंधें शामिल हैं। इनकी खासियत यह है कि इनमें कोई रासायनिक मिश्रण नहीं होता, जिससे पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचता और शुद्धता बनी रहती है।

सूरजकुंड मेले में देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों को इस स्वयं सहायता समूह की धूपबत्तियाँ खूब पसंद आ रही हैं। न केवल इनकी सुगंध बल्कि उनकी गुणवत्ता और प्राकृतिकता भी ग्राहकों को लुभा रही है।
ओडिशा की विजयलक्ष्मी महापात्रा का कहना है, “हमारे समूह का उद्देश्य सिर्फ उत्पाद बेचना नहीं है, बल्कि लोगों को शुद्ध और प्राकृतिक धूपबत्तियों से परिचित कराना है। हम चाहते हैं कि लोग स्वदेशी उत्पादों को अपनाएँ और पर्यावरण को सुरक्षित रखने में योगदान दें।”इस समूह से जुड़ी महिलाएँ न केवल धूपबत्तियाँ बनाती हैं, बल्कि उनके निर्माण, पैकेजिंग और मार्किटिंग में भी सक्रिय भूमिका निभाती हैं। यह पहल महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

सूरजकुंड मेला में उड़ीसा के इस स्वयं सहायता समूह की भागीदारी यह दर्शाती है कि यदि स्थानीय कारीगरों और महिला उद्यमियों को सही मंच मिले, तो वे अपनी कला और उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिला सकते हैं। विजयलक्ष्मी महापात्रा और उनके समूह की यह पहल महिला सशक्तिकरण, आत्मनिर्भर भारत और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक प्रेरणादायक कदम है। दिनभर विजय लक्ष्मी के स्टाल पर आगन्तुकों की भीड़ लगी रहती है।

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