KhabarNcr

श्री श्रद्धा रामलीला कमेटी द्वारा आयोजित रामलीला पहुंची अपने रोमांच पर

राक्षसों ने लगाई हनुमान जी की पूंछ में आग तो उन्होंने जला दी पूरी लंका..

फरीदाबाद: (पंकज अरोड़ा) खबरेंNCR, 04 अक्टूबर,   जैसे-जैसे दशहरा पर्व नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे श्री श्रद्धा रामलीला कमेटी द्वारा आयोजित की जा रही रामलीला का रोमांच बढ़ते जा रहा है। रामलीला के पांचवें दिन भी कलाकारों ने अपने मंचनों को बखूबी करके उपस्थितज श्रोताओं की जमकर वाहवाही बटोरी। रामलीला के पांचवें दिन में शबरी माता की कुटिया में राम जी का आना और नवधा भक्ति प्रदान करना और शबरी माता ने आगे सुग्रीव जी और हनुमान जी के पास भेजना, ऋषि मूक पर्वत पर और फिर राम जी सुग्रीव की मदद करते हैं, पहले बाली वध करते है और सुग्रीव को राजा बनाते हैं और फिर हनुमान जी सीता जी की खोज में भेजते हैं। इस दौरान श्रीराम चंद्र कहते है :-

क्या बतलायें वीर तुम्हें हम, प्रारब्ध के मारे हैं।

कहने को तो हम दोनों, दशरथ के राज दुलारे हैं।।

लेकिन अब तो अर्से से, दर पे आज़ार ज़माना है।

बेपर बेज़र बेघर बेदर, न केाई खास ठिकाना है।।

सूरत से बेज़ार हो रहा, अपना और बेगाना है।

फिर काटते दिन गर्दिश के, इसी तरह मर जाना है।।

साथ मेरे छोटे भाई, लक्ष्मण प्रांण प्यारे है।

कहने को तो हम दोनों, दशरथ के राज दुलारे हैं।।

इसके उपरांत हनुमान जी अशोक वाटिका पहुंचते हैं वहां रावण सीता जी को बहुत सताते है और सीता जी अपने साथ शादी के लिए कोशिश करते है लेकिन सीता जी तो पतिवृत्ता स्त्री थी वो रावण को बहुत भला बुरा सुनाती है और यह दृश्य हनुमान जी देख रहे होते है और बड़े ही दुखी होते है कि माता जी यहां कितने कष्ट में है और कहते है :-

कहो मु$फसल हाल कुंवर जी, क्या विपदा तुम पर आई।

हो गया ऐसा क्या कारण, घर से निकले दोनों भाई।।

असल हकीकत वज़ह उदासी की, अब तक नहीं बतलाई।

हो रही हालत क्यों अब तर, क्यों चेहरे पर ज़रदी छाई।।

पड़ी मुसीबत सख्त कोई जो, उड़े ओसान तुम्हारें हैं।

कौन ग्राम क्या देवता, कहां से आप पधारे हैं।।

इसी बात से क्रोधित होकर हनुमान जी अशोक वाटिका उजाड़ देते हैं। इसके उपरांत अक्षय कुमार को मारते हैं और मेघनाथ आते है और वो धोखे से ब्रह्म फांस में बांध कर हनुमान जी को रावण दरबार में ले जाते हैं और हनुमान जी रावण को बहुत समझाते हैं अब भी माता सीता को लेकर प्रभु श्री राम जी की शरण में आ जाओ नही तो तेरा सर्वनाश हो जायेगा, तभी रावण गुस्सा में आ जाते है और कहते है :-

लगाओ रूक-रूक के वो कोड़े, कि जिससे दर्द पैदा हो।

न निकले जान इस तन से और आहें सर्द पैदा हो।।

तड़प हो मुर्गे बिसमिल की, न इस तन से जां निकले।

ना कहती है जो जिब्हा, उसी जिब्हा से हां निकले।।

रावण अपने राक्षसों को आदेश देते है की इसकी पूंछ में आग लगा दो फिर हनुमान जी अपनी पूंछ से रावण की लंका की जला देते हैं। इन सभी दृश्यों को देखकर श्रोता जय श्रीराम के नारे लगाकर उत्साहवर्धन करने लगे। रामलीला का मंच संचालन अंकित लूथरा द्वारा किया जा रहा है, जबकि सह निर्देशक अजय खरबंदा व निर्देशक अनिल चावला है वहीं रामलीला के बेहतर मंचन में प्रधान दिलीप वर्मा, सीनियर उप प्रधान शेलेंद्र गर्ग, सीनियर उप प्रधान विवेक गुप्ता, उप प्रधान श्रवन चावला, महासचिव कैलाश चावला, जन संपर्क लाजपत चांदना का पूरा सहयोग किया जा रहा है।

Get real time updates directly on you device, subscribe now.

You might also like

You cannot copy content of this page