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सीता हरण का दृश्य देख भावुक हुए लोग

सीता हरण के दृश्य देख भावुक हुए लोग

पंकज अरोड़ा की रिपोर्ट फरीदाबाद: 09 अक्टूबर, सैक्टर 12 में हो रही श्री श्रद्धा रामलीला के मंचन पर भरत मिलाप, शृपनखा संवाद, खर-दूषण वध, शृपनखा का रावण के सामने रोना, रावण मारीच का संवाद जैसे नाटक का मंचन किया गया।

आपको बता दे कि जैसे जैसे दशहरा नजदीक आ रहा है वैसे वैसे श्रद्धा रामलीला के प्रागंण में दर्शकों की भीड़ जुटना शुरु हो रही है वैसे तो मंच पर सभी दृश्य मन को भाव विभोर करते है मगर सीता हरण का दृश्य वाकई में ह्रदय विदारक था।

जब राम लक्ष्मण को बताते है कि राजपाठ के लिए भरत से युद्ध नहीं करेंगे औल उन्हें पता चलता है कि भरत सेना लेकर चित्रकूट आ रहा है तो लक्ष्मण कहता है।

 कु टल नीित तेरी तुझको, यहां तक खैंच लाइ है । 

 मुकमल राज करने की, हवस ददल में समाइ है ।। 

 खबर करके चले अये, तुझे तख्ते ऄयोध्या दें । 

 ऄके ले देख बनवासी, ओ ज़ािलम की चढाइ है ।। 

 मिलेगा तख्त के बदले, तुझे तख्ता भरत ऄब तो । 

 यकीं कर अप ही तूने, कज़ा ऄपनी बुलाइ है ।। 

 सहाइ हों तेरे िंकर, तो िंकर की कसम मुझको । 

 करूँ गा सर कलम तेरा, मेरे रघुवर सहाइ है

लेकिन जब भरत कहता है कि मैं आप तीनों को अयोध्या वापिस लेने आया हूँ तो लक्ष्मण को मन में ग्लानि महसूस होती हैं।

रावण जब साधू के वेश में सीता का हरण करने आता है तो वह कहता है।

रंग ढंग बदले थे मैने, जब पहले िनहारा था तुझे ।

 रंग ढंग बदले थे जो, स्वयंबर में हारा था तुझे ।।

 रंग ढंग बदले थे सुन कर, रूप के चचे तेरे ।

 रंग ढंग बदलेंगे ऄब जब, साथ जायेगी मेरे ।।

 रंग ढंग जो भी बदलता हँ, बदलवाती है तू ।

 सामने जब अता हँ तो, दफ़र बदल जाती है तू

यह संवाद कहकर माता सीता का हरण कर पुष्पक विमान में बैठाकर वायु मार्ग से लंका ले जाता है।

स्वर्ण हिरन को मारकर राम लक्ष्मण वापिस आकर देखते है कि सीता चित्रकूट में नहीं है तो

हाय ऄब दुिवार मेरी, िज़न्दगानी हो गइ ।

 जानकी िबन आक घड़ी, मुिदकल िबतानी हो गइ ।।

 लौट कर वापस मेरा, जाना ऄसम्भव हो गया ।

 ऄब ऄयोध्या एक, सपने की कहानी हो गइ ।।

 जस जगह बनवास काटा, सब बड़े अराम से ।

 हाय ऄब वो ही जगह, कै सी डरावनी हो गइ ।।

 ऄब नहीं होगा मेरा, िनवावह दुिनयां में मेरा ।

 ऄब तो जीवन से मुझे, ऄपने िगलानी ह

कहकर सीता की तलाश में आगे निकल जाते हैं तभी उन्हें जटाऊ मिलता हैं और कहता है कि सीता को रावण ले गया हैं, सीता को ढूंढते ढूंढते वह माता शबरी से मिलते हैं।

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