राज्यसभा उपाध्यक्ष हरिवंश नारायण सिंह ने मानव रचना में एडवोकेसी पत्रकारिता पर पुस्तक का अनावरण किया
पंकज अरोड़ा की रिपोर्ट: फरीदाबाद, 10 सितंबर 2025, राज्यसभा के उपाध्यक्ष हरिवंश नारायण सिंह ने आज मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज (MRIIRS) में “हैरिवंश एक्सपेरिमेंट विद एडवोकेसी जर्नलिज़्म: फ्रॉम एड्स टू एक्शन, वर्ड्स टू चेंज” पुस्तक का अनावरण किया। इस अवसर पर छात्रों, मीडिया पेशेवरों और गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति रही, जिन्होंने एडवोकेसी पत्रकारिता की बदलती भूमिका और समाज पर इसके प्रभाव पर चर्चा की।
अपने संबोधन में हरिवंश नारायण सिंह ने सामाजिक एडवोकेसी पत्रकारिता में अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, “जब हमने पत्रकारिता की यात्रा शुरू की थी, तब संसाधन नहीं थे और हमारे अख़बार का भविष्य भी अनिश्चित था। फिर भी, दृढ़ निश्चय, रचनात्मकता और लगातार प्रयास के माध्यम से हमने पाठकों तक पहुँचने और सार्थक प्रभाव डालने के तरीके खोजे। आज की तेज़ी से बदलती तकनीकी दुनिया में एल्विन टॉफलर ने सही कहा है कि जो पढ़ना और लिखना नहीं जानते, वे अप्रचलित हो जाएंगे। लेकिन यह केवल साक्षरता तक सीमित नहीं है; हर व्यक्ति को अपने चारों ओर हो रहे तकनीकी परिवर्तनों को समझना और उन्हें आत्मसात करना होगा, अन्यथा पीछे रह जाएंगे। यह पुस्तक युवाओं को एक महत्वपूर्ण संदेश देती है: चुनौतियों को अपनाएं, नवाचारी सोच रखें और बदलते समय के अनुसार अपने भविष्य को आकार दें।”

एमआरआईआईआरएस के कुलपति प्रो. (डॉ.) संजय श्रीवास्तव ने कहा, “प्रत्येक व्यक्ति की पहचान केवल उनके शब्दों या कार्यों से नहीं बल्कि उनके द्वारा छोड़े गए सूक्ष्म प्रभावों से भी बनती है। बोलने से पहले ही उनकी मौजूदगी प्रभाव डालती है। वर्षों से, हरिवंश नारायण सिंह की प्रेरक व्यक्तित्व और दूरदर्शी नेतृत्व ने लगातार पीढ़ियों को प्रभावित किया है, सामाजिक जागरूकता को बढ़ावा दिया है और भारत में एडवोकेसी पत्रकारिता के क्षेत्र को आकार दिया है।”
हरिवंश नारायण सिंह ने छात्रों के साथ एक संवादात्मक सत्र में भी भाग लिया, जिसमें उन्होंने सामाजिक बदलाव लाने में साहसिक विचारों और लगातार प्रयास की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने फ्रांस में हुई क्रांतियों जैसे ऐतिहासिक उदाहरणों का हवाला देते हुए बताया कि कैसे नए विचारों ने समाजों को आकार दिया और लोगों को प्रभावित किया। सत्र का संचालन प्रसिद्ध लेखक और मीडिया सलाहकार नवीन चौधरी ने किया, जिन्होंने लेखक की ओर से एक संक्षिप्त नोट पढ़ा और चर्चा को मार्गदर्शन प्रदान किया, जिससे भारत में एडवोकेसी पत्रकारिता के विकास और प्रभाव पर गहरी समझ मिली।

कार्यक्रम का समापन प्रो. (डॉ.) शिल्पी झा, डीन, स्कूल ऑफ मीडिया एंड ह्यूमैनिटीज़, द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ। उन्होंने गणमान्य व्यक्तियों, योगदानकर्ताओं और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया और MRIIRS की मीडिया और संचार में अनुसंधान तथा मूल्य आधारित शिक्षा को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता दोहराई। इस पुस्तक का अनावरण मानव रचना की मीडिया अनुसंधान को बढ़ावा देने और सामाजिक विकास में योगदान देने वाले जिम्मेदार संचार अभ्यास को समर्थन देने की प्रतिबद्धता को भी उजागर करता है।