पंकज अरोड़ा की रिपोर्ट फरीदाबाद: 10 अक्टूबर, सैक्टर 12 टाऊन पार्क के सामने ग्राउंड में श्री श्रद्धा रामलीला कमेटी द्वारा आयोजित रामलीला के मंच पर माता शबरी के कहने पर राम-लक्ष्मण वानरों के राजा सुग्रीव से मिलने निकल जाते हैं तो उन्हें पहले हनुमान मिलते है
और वह सुग्रीव तक अपनें कंधों पर बिठाकर वायुमार्ग से ले जाते है, जिसमें हनुमान को एक विशाल रूप में दिखाया गया है जिससे दर्शक दांतों तले उंगली दबा लेते है और सारा परिसर जय श्री राम के उदघोष से गूंज उठा।
सुग्रीव जब राम को अपनी व्यथा बताता है कि किस प्रकार से उसके भाई बालि ने उसका राज्य और पत्नी रूमा को छीनकर उसे राज्य से बाहर कर दिया है तो राम सुग्रीव को वचन देकर कहते हैकि वह बालि का वध करके उन्हें अपना राज्य और पत्नी को वापि दिलवाएंगे यह कहकर वह बालि को युद्ध करने के लिए ललकारें इसके बाद राम को बालि का वध करते हुए दृश्य दिखाते है।
किष्किंधा का राज्य मिलने के बाद वानर सेना द्वारा माता सीता की खोज आरंभ की जाती है।
माता सीता को खोजते-खोजते समुद्र किनारे पंहुच जाते है तो वानर सेना बल हनुमान को अपनी शक्ति की याद दिलाते है तो हनुमान समुद्र को 100 योजन पार लंका पंहुच जाते है जंहा उन्हें माता सीता के दर्शन होते है।

माता सीता के दर्शन के बाद हनुमान रावण की ताकत का अंदाजा लगाने के लिए वाटिका उजाड़ देते है तो मेघनाद उन्हें पकड़कर रावण के दरबार में ले जाते है जंहा रावण कहता है कि
लगाओ रूक रूक के वो कोड़े, दक िजससे ददव पैदा हो ।
न िनकले जान आस तन से, और अहें सदव पैदा हो ।।
तड़प हो मुगे िबसिमल की, न आस तन से जां िनकले ।
ना कहती है जो िज्हा, ईसी िज्हा से हां िनकल
यह सुनकर हनुमान क्रोधित होकर कहते है
दकसी की रहती नहीं है यकसां, िमसाल िमिो कमर समझ लो ।
िज़वाल होता है चान्द का जब तो, रोििनये सहर समझ लो ।।
वही िगरा है निेब में भी, िमला है अली मकाम िजसको ।
फ़नाह के रास्ते पे चले हैं, यहां है बादक कयाम दकसको ।
बदले में रावण कहता है
चरागे नीम िब खुरिैद को भी, नाम धरता है ।
ऄजब हैवान मुतिलक है, मेरा ऄपमान करता है ।।
हमसरी करता है, तलवार से खंज़र होकर ।
बरतरी का तुम्हें दावा हुअ, कम तर होकर
यह संवाद कहते ही मंच का पर्दा गिरता है और दर्शक तालियां बजाकर व जय श्री राम का उदघोष करते हुए पंडाल से बाहर आ जाती है।
मुख्य किरदारों में सुग्रीव – सूरज भाटिया, हनुमान के किरदार में कैलाश चावला ने अपनी पूरी निष्ठा से निभाया है तो वंही सीता की भूमिका -योगन्धा वशिष्ठ, बाली की भूमिका में-अजय खरबंदा का कोई जवाब नहीं, तारा – हिमानी शर्मा, रावण के रोल में – श्रवण चावला ने अपनी कड़ी आवाज में जो संवाद कहे वह वाकई में सराहनीय हैं, अक्षय कुमार – देवांश, मेघनाथ की गर्जना में -विजय कुमार कांता दिखे और विभीखदान का किरदार राज कुमार ढींगरा ने निभाया है ।