KhabarNcr

स्वः विश्वामित्र सत्यार्थी को याद कर उनकी धर्मपत्नी व पुत्र को सम्मानित किया गया

फरीदाबाद: 26 जुलाई, शहर के सम्मानित शिक्षक, प्रसिद्ध लेखक, समाजसेवी, आर्य समाज के प्रचार प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान देने तथा महार्षि दयानंद योगधाम, फरीदाबाद के अनेक वर्षों तक कर्मठ मंत्री रह कर योग के प्रति जनमानस में जागरूकता लाने में महत्वपूर्ण योगदान के लिए स्वः विश्वामित्र सत्यार्थी को जिला योग एसोसिएशन (रजि.) पलवल तथा महर्षि पतंजलि योग संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में  बेटी बचाओ, बेटी पढाओ युवा युवती चरित्र निर्माण व स्वास्थ्य निर्माण हेतु योगाचार्य गुरुमेश सिंह के सानिध्य में तारपुर में आयोजित इंटर स्कूल योगासन प्रतियोगिता के अवसर पर विशेष रूप से याद कर सम्मान स्वरूप मोमेंटो उनकी धर्मपत्नी श्रीमती स्वदेश सत्यार्थी और पुत्र वसुमित्र सत्यार्थी को भेट कर फूलों की माला पहनाकर सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर योगाचार्य श्री गुरुमेश ने कहा जीवन विकास के लिए भारतीय संस्कृति में गुरु की महत्वपूर्ण भूमिका मानी गई है। गुरु की सन्निधि, प्रवचन, आशीर्वाद और अनुग्रह जिसे भी भाग्य से मिल जाए उसका तो जीवन कृतार्थता से भर उठता है, क्योंकि गुरु बिना न आत्म-दर्शन होता और न परमात्म-दर्शन। मुझमें योग की अलख मेरे शिक्षक, मेरे गुरु विश्वामित्र सत्यार्थी ने बचपन में ही जगा दी थी और मैने योग द्वारा समाज सेवा करने का प्रण किया था। मेरा लक्ष्य योग द्वारा सबको स्वस्थ्य रहने की शिक्षा बांटकर और चरित्र निर्माण को प्रोत्साहित कर स्वस्थ्य और चरित्रवान समाज निर्माण में सहयोगी बन अपने देश की सेवा में सहभागिता निभाऊं।  आज का यह योग कार्यक्रम मेरे गुरू और प्रेरणादायक पूजनीय सत्यार्थी जी को समर्पित है। योगाचार्य गुरूमेश सिंह ने अपने गुरु को याद करते हुए कहा कि एक शिक्षक और समाजसेवी के रूप म़ें सत्यार्थी जी की कर्मठता, प्रतिबद्धता, दृढ़निश्चय, ईमानदारी, स्पष्टवादिता, सौम्यता, शालीनता और मृदुभाषिता को याद कर आज भी उनके सहकर्मी, विद्यार्थी और मित्रगण श्रध्दावनत है उठते हैं।

समाचार एँव विज्ञापन के लिए संपर्क करें 09818926364

सत्यार्थी जी ने अपनी सहधर्मिणी श्रीमती स्वदेश सत्यार्थी के सक्रिय सहयोग से 1960 में “सरस्वती शिशु मंदिर” नाम से एक विधालय पलवल में और 1970 में “राष्ट्रीय बाल निकेतन” के नाम से एक अन्य विधालय एन आई टी 3 नंबर में स्थापित किया। विश्वामित्र सत्यार्थी जी की प्रेरणा और श्रीमती स्वदेश सत्यार्थी के शिक्षा प्रसार के संकल्प, अनुभव, परिश्रम और प्रबंध कोशल से इन विधालयों को सफलता के उन्नत शिखर पर पहुचाया। उनके समाजिक योगदान की सराहना् करते हुए कहा कि साहित्य सेवी एवं लेखनी के धनी, श्री सत्यार्थी पर ईश्वर की आपार कृपा थी। हमेशा स्वाध्याशील, शांत और प्रसन्नचित्त रहते थे। वह आर्यत्व की भावना से ओतप्रोत, वैदिक साहित्य के लेखन-प्रकाशन एवं प्रसार में स्वयं के आत्मबल और साधनों से सर्मपित अग्रणी साहित्य साधक थे। उन्होंने जनोपयोगी धार्मिक, सामाजिक और अध्यात्मिक विषयों पर अपनी साहित्य साधना के स्वरूप प्रेरणादायक 20 पुस्तक पुष्पों की रचना् की जोकि समाज में अपनी खुशबू बिखेर रही हैं और समाज की बहुमूल्य धरोहर हैं।

इस कार्यक्रम में बच्चों ने योग की विभिन्न क्रियाओं और मुद्राओं  का बेहतरीन प्रदर्शन किया। बालिकाओं ने भी इसमें उत्साहपूर्वक भाग लिया। विजेताओं भूमिका, राधिका, कीर्ति, दिव्या, खुशी, दीपिका पवार, पुनीत, हर्षवी, तेजपाल, कोविशाल, रौनक, दीपान्शु, ईशांत और अवतार तथा अन्य विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम में दशरथ शर्मा प्रधान, लेखराम एडवोकेट, रमेश कौशिक, पूर्व सरपंच डालचंद नंबरदार,  वेद शर्मा, नरेंद्र कुमार, चंद्र पाल माहौर, पवन बालयोगी,  हरीश शर्मा, सतवीर पटेल,  प्रेमचंद, चेयरमैन, ब्लाक समिति,  पातंजलि के पं जगवीर सिंह शर्मा  तथा अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने अपनी गरिमामय उपस्थिति से बच्चों का हौसला बढाया और आर्शीवाद दिया।

Get real time updates directly on you device, subscribe now.

You might also like

You cannot copy content of this page