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श्रावणी पर्व मनुष्य को वेदों के चिंतन, मनन और श्रवण की देता है

पंकज अरोड़ा की रिपोर्ट/फरीदाबाद: आर्य समाज एन एच 3 के तत्वावधान में श्रवणी पर्व के उपलक्ष्य में त्रिदिवसीय वेद कार्यक्रम के अवसर पर आचार्य विवेक दीक्षित द्वारा यज्ञ करवा कर शुभारंभ किया गया। तत्पश्चात सुविख्यात युवा भजनोपदेशक प्रदीप शास्त्री द्वारा मधुर भजनों के माध्यम से महर्षि दयानन्द सरस्वती और उनके जीवन, शिक्षाओं और समाज सुधार के कार्यों को याद किया गया।

उत्तराखंड गौरव अलंकृत युवा वैदिक प्रवक्ता आचार्य अनुज शास्त्री (देहरादून) ने अपने व्याखान में बताया कि श्रावणी मास में वेद पढ़ने का महत्व ऋषियों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना,ज्ञान प्राप्ति और आध्यात्मिक विकास के लिए है। प्राचीन काल में इसी मास में गुरुकुलों में वेद पारायण आरंभ होते थे, जिससे ज्ञान की निरंतरता बनी रहे। यह स्वाध्याय का महीना है, जिसमें वेदों के अध्ययन से बुद्धि, विवेक और सद्ज्ञान में वृद्धि होती है, अज्ञान दूर होता है और आध्यात्मिक उन्नति होती है।

श्रावणी मास में वेद पढ़ने के महत्व है इससे ज्ञान की वृद्धि, आध्यात्मिक जागरण, ऋषियों के प्रति कृतज्ञता, अज्ञान का नाश, परंपरा का संरक्षण, आध्यात्मिक शक्ति का विकास तथा आत्म-संयम का संस्कार विकास होता है। इस महीने में वेदों का स्वाध्याय और अध्ययन करने से आध्यात्मिक शक्ति विकसित होती है और मनुष्य जीवन के त्रिविध तापों से बचाव कर पाता है।

इस पर्व को ऋषि तर्पण भी कहा जाता है। ऋषि तर्पण का अर्थ है ऋषियों को संतुष्ट करना। ऋषियों के तपोबल के माध्यम से जो वेद ज्ञान की निधि हमें प्राप्त हुई है उसके प्रति कृतज्ञता का भाव प्रकट करना। वैदिक ग्रंथों के ज्ञान को अपने जीवन में आत्मसात करके यह ऋषियों के ऋण से उऋण होने का अवसर है।

कार्यक्रम का संचालन महामंत्री जितेंद्र सरल ने किया तथा कार्यक्रम में आये सत्संग प्रेमियों और आचार्यों का धन्यवाद किया। इस कार्यक्रम में जगदीश विरमानी, संदीप आर्य, वसु मित्र सत्यार्थी,रमेश मनचंदा, वसन्त भाटिया, गोल्डी मल्होत्रा, कुलभूषण सखूजा, डॉo सरोज मग्गू, ज्ञान आहूजा, सन्तोष मदान, सन्तोष विरमानी, पुष्पा आहूजा, ऊषा चितकारा, प्रेमलता गुप्ता, सुषमा वधवा, सरला, माता यज्ञानंदा, प्रतिभा यति प्रेम लता गुप्ता तथा विभिन्न आर्य समाज के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

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