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सामाजिक समरसता मंच ने बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया

पलवल: 21 मई, सामाजिक समरसता मंच ने बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर जूम ऑनलाइन एप्लीकेशन के माध्यम से एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया। इस विचार गोष्ठी में बौद्ध अनुयाई नीतू भारद्वाज जो कि जापान से चले भारत सोका गक्कई ऑर्गेनाइजेशन की सदस्य हैं, उन्हें मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के हरियाणा प्रांत प्रचारक विजय कुमार को मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया। विचार गोष्ठी का विषय था विश्व में शांति और समरसता के अग्रदूत भगवान बुद्ध।

सामाजिक समरसता मंच ने यह कार्यक्रम सिद्धार्थ से गौतम बुद्ध तक इस थीम पर आयोजित किया था। सामाजिक समरसता मंच के जिला संयोजक संजीव तायल ने बताया कि भारतीय समाज में भगवान बुद्ध को लेकर अनेक प्रकार की विसंगतियां आ गई है। अनेक संगठन भगवान बुद्ध के नाम से काम कर रहे हैं। तथा प्रत्येक संगठन में अनेक तरह के भ्रम भी फैले हुए हैं। जबकि भगवान बुद्ध स्वयं एक हैं। उनकी शिक्षाएं एक हैं। भगवान बुद्ध ने हमेशा शांति, अहिंसा, समन्वय, समरसता आदि के लिए कार्य किया।

कार्यक्रम में बोलते हुए नीतू भारद्वाज ने बताया कि उनकी संस्था के अनुसार बौद्ध धर्म कोई धर्म ना होकर एक कार्य पद्धति है। बौद्ध धर्म हिंदू धर्म का ही एक भाग है। उनके अनुसार यदि हम पूरे विश्व को अपने अंदर समाहित करके चलें तो हमारे अंदर एकाकीपन का भाव, अकेलेपन का भाव कभी नहीं आता। विश्व शांति के लिए सभी के साथ बंधुत्व का भाव लेकर काम करना चाहिए।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के हरियाणा प्रांत प्रचारक विजय कुमार ने मुख्य वक्ता के रूप में अपनी बात रखते हुए बताया कि महात्मा बुद्ध का जन्म, उनका निर्वाण और उनको बोध प्राप्ति तीनों आज ही के दिन हुए। इसलिए आज के दिन को विशेष महत्व दिया जाता है। उन्होंने महात्मा बुद्ध के जीवन पर प्रकाश डालते हुए उनके जन्म से लेकर बौद्ध प्राप्ति तक के अनेक संस्मरण सुनाएं। उन्होंने बताया कि किस प्रकार उनके जन्म के समय ही ज्योतिषाचार्यों ने यह घोषणा कर दी थी कि यह बच्चा समाज को राह दिखाएगा तथा भगवान बुद्ध ने पिता द्वारा प्रदत्त अनेक तरह के सुख, समृद्धि, ऐश्वर्य, राजकीय भोग विलासों को त्याग कर अपनी पत्नी यशोधरा और पुत्र राहुल की भी मोह ममता छोड़कर, कठिन तपस्या करके, अपने शरीर को तपा कर बोध ज्ञान की प्राप्ति की।समाचार एंव विज्ञापन के लिए संपर्क करें:09818926364

उन्होंने अनेक उदाहरण देते हुए यह बताया कि गौतम बुद्ध चमत्कारों में विश्वास नहीं रखते थे। परंतु अपने सरल सहज स्वभाव से वह जो भी कह देते वह लोगों को चमत्कार ही नजर आने लग जाता। एक उदाहरण के द्वारा उन्होंने चरित्र की महानता के बारे में बताया। साथ ही साथ उन्होंने बताया कि जब भगवान बुद्ध मृत्यु शैय्या पर थे तो भिक्षुकों को यह बहुत चिंता थी कि उनके बाद मार्गदर्शन कौन करेगा। तब भगवान बुद्ध ने आत्म दीपो भव: का सिद्धांत दिया अर्थात अपने दीपक खुद बनो। जो आपकी आत्मा कह रही है वही सही और श्रेष्ठ है उसी का अनुपालन करो।

इस विचार गोष्ठी में सर्व अनुसूचित जाति जिला समन्वय समिति के पलवल जिलाध्यक्ष नेत्रपाल तंवर ने भी अपने विचार रखे। इसके अलावा सामाजिक समरसता मंच के सहजिला संयोजक हेमंत वर्मा, नगर संयोजक डा गौरव भार्गव, ज़िला मीडिया प्रमुख अनिल कुमार जांगड़ा, तथा सुरेंद्र गर्ग, प्रवीण गर्ग, नीरज मनचन्दा, खेमचंद पवार आदि उपस्थित थे।

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