पंकज अरोड़ा की रिपोर्ट/फरीदाबाद: 9 सितंबर, ग्रेटर फरीदाबाद सेक्टर 86 स्थित एकॉर्ड अस्पताल में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें अस्पताल न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट चेयरमैन डॉ. रोहित गुप्ता ने कहा कि भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव और चिंता आम बात बन चुकी है। काम का दबाव, पढ़ाई का तनाव, भविष्य की चिंता या रिश्तों की उलझनें, ये सब मिलकर युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डाल रही हैं। उन्होंने कहा कि यदि तनाव लंबे समय तक बना रहे तो यह न सिर्फ मानसिक बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक हो सकता है। लोग कई बार आत्महत्या तक के कदम उठा लेते हैं।
हर साल 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जाता है, ताकि लोगों में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सके। विशेषज्ञों की मानें तो मानसिक स्वास्थ्य को शारीरिक स्वास्थ्य जितनी ही प्राथमिकता देना आज के समय की जरूरत है।
मनोचिकित्सक डॉ. परमवीर सिंह ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, दुनियाभर में 15 से 29 वर्ष के युवाओं में डिप्रेशन और एंग्जाइटी आत्महत्या के प्रमुख कारणों में से एक हैं। भारत में 10.6 प्रतिशत वयस्क किसी न किसी मानसिक बीमारी से जूझ रहे हैं। कुछ वर्ष पहले उत्तर भारत के मेडिकल छात्रों पर हुए एक सर्वे में 37.2 प्रतिशत छात्रों में आत्महत्या के विचार पाए गए। वहीं, एक अन्य विश्लेषण से पता चला कि 11.5 प्रतिशत वयस्कों में अवसाद, चिंता या अन्य मानसिक विकार मौजूद थे।
मनोचिकित्सक सिमरन मालिक ने कहा कि फरीदाबाद जैसे औद्योगिक शहर में जहां प्रतिस्पर्धा और काम का दबाव अधिक है, वहां युवाओं और पेशेवरों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। एकॉर्ड अस्पताल में हर महीने 10-12 मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. संदीप घोष ने कहा कि युवाओं को खुलकर अपनी भावनाओं को व्यक्त करना चाहिए और जरूरत पड़ने पर विशेषज्ञ से मदद लेने में हिचकिचाना नहीं चाहिए। डॉ. मेघा शारदा का कहना है कि नियमित व्यायाम, पर्याप्त नींद, ध्यान और संतुलित आहार मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर रखने में अहम भूमिका निभाते हैं।