पंकज अरोड़ा की रिपोर्ट/फरीदाबाद: 12 अगस्त, ग्रेटर फरीदाबाद सेक्टर-86 स्थित एकॉर्ड सुपरस्पेशलिटी अस्पताल ने चिकित्सा क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। अस्पताल के न्यूरो सर्जरी विभाग डायरेक्टर डॉ. विक्रम दुआ और रवि शंकर की टीम ने ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित मरीज का नाक के जरिये एक्सटेंडेड नेजल एंडोस्कोपिक तकनीक से सफल ऑपरेशन किया गया। इस ऑपरेशन में तीन घंटे से अधिक समय लगा। ऑपरेशन के बाद मरीज अब स्वस्थ है। इस सफल सर्जरी के लिए अस्पताल चेयरमैन डॉ. जितेंद्र कुमार ने टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा एकॉर्ड अस्पताल भविष्य इस तरह ओर भी जटिल ऑप्रेशन करता रहेगा।
ईराक निवासी 62 वर्षीय महिला कई वर्षों से सिरदर्द और आंखों की रोशनी कम होने की समस्या से जूझ रही थी। उन्होंने ईराक सहित कई देशों में इलाज कराया, लेकिन कोई खास सुधार नहीं हुआ। हाल ही में वह एकॉर्ड अस्पताल पहुंचीं, जहां न्यूरो सर्जरी विभाग के डायरेक्टर डॉ. विक्रम दुआ और उनकी टीम के सदस्य डॉ. रवि शंकर ने विस्तृत जांच की। जांच में पता चला कि ट्यूमर खोपड़ी के आधार (स्कल बेस) पर स्थित है, जो बेहद संवेदनशील और जटिल स्थान माना जाता है।
डॉ. विक्रम दुआ ने बताया कि सामान्यत: ऐसे मामलों में सिर की हड्डी काटकर ऑपरेशन करना पड़ता है, जो न केवल दर्दनाक होता है बल्कि मरीज को ठीक होने में भी लंबा समय लगता है, ऑप्रेशन के दौरान ब्लड की बहुत जरूरत पड़ती है। लेकिन नई तकनीक के जरिए बिना सिर या चेहरे पर कट लगाए, नाक के रास्ते ट्यूमर को सुरक्षित तरीके से हटा दिया गया। इस सर्जरी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ऑपरेशन के बाद चेहरे या सिर पर कोई निशान नहीं पड़ता, दर्द बहुत कम होता है और मरीज तेजी से सामान्य जीवन में लौट सकता है। ऑपरेशन के बाद मरीज की आंखों की रोशनी भी पूरी तरह लौट आई। यह सफलता न केवल मरीज के लिए जीवन बदलने वाली साबित हुई, बल्कि जटिल ब्रेन ट्यूमर मामलों के इलाज में एक नई उम्मीद भी लेकर आई है। विशेषज्ञों का कहना है कि “एक्सटेंडेड नेजल एंडोस्कोपिक सर्जरी” भविष्य में उन मरीजों के लिए वरदान साबित होगी, जिन्हें पारंपरिक सर्जरी से अधिक जोखिम और लंबा रिकवरी समय झेलना पड़ता है। अस्पताल न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के चेयरमैन डॉ. रोहित गुप्ता ने कहा कि इस उपलब्धि ने एकॉर्ड अस्पताल को न्यूरो सर्जरी के क्षेत्र में अत्याधुनिक तकनीक और बेहतर इलाज की दिशा में एक महत्वपूर्ण मुकाम पर पहुंचा दिया है। ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों को विश्वस्तरीय इलाज उपलब्ध कराने के लिए हाल ही में वर्ल्ड स्ट्रोक ऑर्गनाइजेशन की ओर से सात बार अंतरराष्ट्रीय अवॉर्ड से सम्मानित किया है।