खबरेंNcr रिपोर्टर पंकज अरोड़ा फ़रीदाबाद:23 दिसंबर, आर्य केंद्रीय सभा (नगर निगम क्षेत्र) के तत्वावधान में आर्य समाज मंदिर नेहरू ग्राउंड में स्वामी श्रद्धानंद का 97वे बलिदान दिवस मनाया गया। इस कार्यक्रम में प्रसिद्ध भजनोपदेशक दिनेश पथिक तथा जितेंद्र सरल ने अपने भजनों के माध्यम से श्रद्धालुओं को हुतात्मा स्वामी श्रद्धानंद के बलिदान दिवस और उनके सामाजिक योगदान के बारे में विस्तार से बतलाया। देशभक्ति के गीतों पर उपस्थित आर्यजन मंत्रमुग्ध होकर झूमने लगे।
कार्यक्रम के अध्यक्ष, गुरुकुल इंद्रप्रस्थ के प्रचार्य ऋषि पाल ने अमर हुतात्मा स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती को नमन करते हुए कहा कि वे आर्यसमाज के सन्यासी, भारत के गुरुकुलीय शिक्षा प्रणाली के पुनरुद्धारक, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तथा ऋषिप्रवर स्वामी दयानन्द सरस्वती के अनन्य शिष्य थे जिन्होंने उनकी शिक्षाओं का प्रसार किया। वे भारत के उन महान राष्ट्रभक्त सन्यासियों में अग्रणी थे, जिन्होंने अपना जीवन स्वाधीनता, स्वराज्य, शिक्षा तथा वैदिक धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित कर दिया था। 1901 में वैदिक धर्म तथा भारतीयता की शिक्षा देने वाले संस्थान की स्थापना की जिसे आज ‘गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय’ नाम से जाना जाता है। 23 दिसंबर 1926 को नया बाजार स्थित उनके निवास स्थान पर अब्दुल रशीद नामक एक उन्मादी ने धर्म-चर्चा के बहाने उनके कक्ष में प्रवेश करके गोली मारकर इस महान विभूति की हत्या कर दी थी। बलिदान दिवस पर हम प्रेरणा लेकर समर्पित भाव से देश सेवा में अपना योगदान करें।
आनंद महता, देशबंधु आर्य, आचार्य देवराज आर्य, रामबीर नाहर, संजय आर्य, सतीश कौशिक, वसु मित्र सत्यार्थी, कर्मचंद शास्त्री, विकास भाटिया, कुलदीप गोयल, डा. सत्यदेव गुप्ता, संजय सेतिया, होती लाल आर्य, शिवकुमार टुटेजा, सुधीर बंसल, कुलभूषण सखुजा, मानव शास्त्री, सतीश कौशिक, ऊषा चितकारा, प्रतिभा यति, रूकमणि टुटेजा, विमल सचदेवा, प्रेम बहल, नीलम, गुरुकुल के ब्रह्मचारी बालक तथा विभिन्न आर्यसमाजों के सदस्य कार्यक्रम में उपस्थित रहे।