खबरेंNcr रिपोर्टर पंकज अरोड़ा फरीदाबाद: 23 जुलाई, आर्य समाज के संस्थापक महाऋषि दयानंद सरस्वती की सार्वभौमिकता कृण्वन्तो विश्वम् आर्यम् के सिधांत और उनकी शिक्षा के प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से 1974 में आर्य समाज मंदिर की स्थापना की गई। संस्थापक सदस्यों की अथक मेहनत और लगन के परिणामस्वरूप धीरे धीरे आर्यजन जुड़ते गये और सत्संग भवन निर्माण में सहयोगियों के प्रयासों से भव्य सत्संग व अन्य सुविधाओं का निर्माण संभव हुआ।
सत्संग भवन और जनसुविधाओं (शौचालय) को एक नया स्वरूप और आधुनिक सुविधा युक्त बनाने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए कार्यकारिणी ने इसके निर्माण का सर्वसम्मति से निर्णय लिया। भवन का नक्शा जाने माने वास्तुकार हेमंत मांड़े ने तैयार किया है जिसका शिलान्यास आर्य समाज मंदिर नंबर 4 के संस्थापक परिवार सदस्य और जाने माने व्यवसायी नरेश मोंगा के कर कमलों द्वारा किया गया।
शिलान्यास कार्यक्रम का शुभारंभ हवन से किया गया, विधिवत मंत्रोच्चारण द्वारा स्वामी दयानंद द्वारा रचित वेदों पर आधारित पवित्र पुस्तक सत्यार्थप्रकाश और ऋग्वेद , यजुर्वेद , सामवेद और अथर्ववेद के शतकम् और संस्थापक सदस्यों तथा वर्तमान कार्यकारिणी सदस्यों की सूची नींव रखकर किया गया।
इस अवसर पर कुलभूषण सखुजा, कर्मचंद शास्त्री, योगेंद्र फोर, वसु मित्र सत्यार्थी, विकास भाटिया, कुलदीप गोयल, जोगिंदर कुमार, संजय सखूजा, मनोज वोहरा, मनोज शर्मा, सुधीर बंसल, जितेंद्र तायल, सत्य प्रकाश अरोड़ा, शिव कुमार टुटेजा, देवराज योगाचार्य, विमला ग्रोवर, बिमला सचदेवा, नर्वदा शर्मा, शीला देवी, कौशल वोहरा तथा निर्मल भाटिया विशेष रूप से उपस्थित रहे।