पंकज अरोड़ा की रिपोर्ट फरीदाबाद, 10 सितंबर: बदलती जीवनशैली और बढ़ते तनाव के बीच मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं जैसे डिप्रेशन और एंग्जायटी लगातार बढ़ रही हैं। कई बार ये इतनी गंभीर हो जाती हैं कि व्यक्ति आत्महत्या जैसे कदम उठाने को मजबूर हो जाता है। ग्रेटर फरीदाबाद सेक्टर 86 स्थित एकॉर्ड अस्पताल में हर महीने ऐसे 10 से 15 मामले सामने आ रहे हैं। अस्पताल न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट चेयरमैन डॉ. रोहित गुप्ता ने कहा कि यह स्थिति केवल व्यक्ति के लिए नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए चिंता का विषय है। इसी जागरूकता को बढ़ाने के लिए हर साल 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया जाता है।
समय पर यदि जांच कराई जाए तो मरीज पूरी तरह ठीक हो सकता है।
मनोचिकित्सक डॉ. परमवीर ने अस्पताल में आयोजित कार्यक्रम में लोगों को जागरूक करते हुए बताया कि
इस दिन का उद्देश्य लोगों को यह संदेश देना है कि आत्महत्या रोकी जा सकती है और समय पर सही मदद लेने से जीवन को बचाया जा सकता है। साथ ही यह दिन आत्महत्या से जुड़े सामाजिक मिथ को कम करने और मानसिक स्वास्थ्य पर खुलकर बातचीत को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। परिवार और समाज की जिम्मेदारी है कि वे ऐसा माहौल तैयार करें, जहां व्यक्ति को सहारा और सकारात्मक ऊर्जा मिल सके।
इस साल विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस की थीम है “एक्शन के जरिए आशा जगाना” है। इसका अर्थ है कि हमारे छोटे-छोटे प्रयास किसी की जिंदगी बचाने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
डॉ. गुप्ता ने बताया कि मानसिक समस्याएं आम हैं, लेकिन मदद लेने में हिचकिचाना खतरनाक हो सकता है। परिवार और दोस्तों को चाहिए कि यदि किसी व्यक्ति में तनाव, अवसाद या आत्महत्या की प्रवृत्ति के लक्षण दिखें तो उसे तुरंत चिकित्सकीय व भावनात्मक सहायता दिलाएं।
इस मौके पर लोगों ने विशेषज्ञ से सवाल जवाब भी किए। जिनका उन्होंने बखूबी जबाव दिया।