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स्वामी श्रद्धानंद बलिदान दिवस और मोर्चा गुरु का बाग शताब्दी समारोह का भव्य आयोजन

फरीदाबाद: 26 दिसंबर, गुरूकुल इन्द्रप्रस्थ तथा फरीदाबाद सरब गुरुद्वारा कमेटी (पंजी) के संयुक्त तत्वाधान में स्वामी श्रद्धानंद बलिदान दिवस और मोर्चा गुरु का बाग शताब्दी समारोह गुरूकुल इन्द्रप्रस्थ फरीदाबाद में आयोजित किया गया जिसमें फरीदाबाद की आर्य केंद्रीय सभा, नगर निगम क्षेत्र, आर्य वीर दल, वेद प्रचार मंडल विभिन्न आर्य समाज और बड़ी संख्या में सिख भाईयों ने भाग लिया ।

कार्यक्रम का शुभारंभ यज्ञ से किया गया और ध्वजारोहण के पश्चात मधुर भजनों की प्रस्तुति ने सबका मन मोह लिया। आमंत्रित विद्वानों उमेद शर्मा, प्रिय मोहन शर्मा, धमेंद्र जिज्ञासु, आचार्य हेमंद्र देव ने अपने संबोधन में देश और धर्म की रक्षा के लिए सर्वस्व न्योछावर करने वाले शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया।

स्वामी धर्मदेव ने कहा कि महार्षि दयानंद के अनन्य शिष्य, महान राष्ट्र भक्त, त्याग और बलिदान की प्रतिमूर्ति स्वामी श्रद्धानंद और गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के संस्थापक ने अपना पूरा जीवन शिक्षा, संस्कार और सनातन संस्कृति के संरक्षण के लिए लगा दिया। क्रूर अंग्रेजी शासक की पुलिस की संगीनों के सामने अपनी छाती तान कर गोली चलाने को ललकारा था। साहस एवं निर्भीकता का ऐसा उदाहरण अपूर्व था।

सरदार रविंद्र सिंह राणा ने सिख नौवें गुरू तेग बहादुर, साहबजादों के देश और धर्म के लिए बलिदान को नमन करते हुए बताया कि औरंगजेब की आततायी सोच के सामने उस समय गुरु तेग बहादुर ‘हिन्द दी चादर’ बनकर, एक चट्टान बनकर खड़े हो गए थे। 4 साहिबजादों ने सिख धर्म की रक्षा के लिए खुद की जान तक कुर्बान कर दिया। गुरु का बाग का शांतिपूर्ण अहिंसक मोर्चा (आंदोलन) में तीन महीने से अधिक लंबे आंदोलन 5,605 सिखों को गिरफ्तार किया, 1,500 घायल हुए और 12 शहीद हुए।

सरदार मोहन सिंह भाटिया ने कहा श्रेष्ठ संस्कार से ही श्रेष्ठ समाज का निर्माण होता है। बच्चों को देश और धर्म के प्रति निष्ठावान बनाना आवश्यक है। संस्कारों के परिणामस्वरूप ही इतनी छोटी उम्र में भी देश और धर्म खुद के लिए जान को कुर्बान कर दिया।

सामाजिक योगदान के लिए सिख भाईयों सरदार मोहन सिंह भाटिया, सरदार रविंद्र सिंह राणा, सरदार प्रीतम सिंह भाटिया, सरदार जोगिंदर सिंह सोढ़ी, सरदार इंद्रजीत सिंह सैनी, सरदार हरपाल सिंह, सरदार जसविंदर सिंह, सरदार सरबजीत सिंह सरदार मंजीत सिंह चावला, नरेंद्र भाटिया को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।

ब्रह्मचारियों ने भव्य शारीरिक प्रदर्शन, तलवारवाजी कौशल, मलखंभ कला कौशल के उच्चकोटि के प्रदर्शन से सबका मन मोह लिया।

कार्यक्रम में स्वदेश सत्यार्थी, आशा पंडित, दुर्गा देवी डंगवाल, रूकमणि टुटेजा, ऊषा चितकारा, योगेंद्र फोर, कर्मचंद शास्त्री, सत्यप्रकाश अरोड़ा, देशबंधु आर्य, संजय खटृर, वसु मित्र सत्यार्थी, डा. संदीप आर्य, मनीष डंगवाल, कुलभूषण सखूजा, जगबीर मलिक, सतीश कौशिक, संजय सेतिया, मनोज डंगवाल उपस्थित रहे।

मंच संचालन योगेंद्र फोर ने किया और गुरूकुल इन्द्रप्रस्थ के व्यवस्थापक एवं अध्यक्ष और आर्य केंद्रीय सभा, नगर निगम क्षेत्र के प्रधान आचार्य ऋषिपाल ने सब आमंत्रित विद्वानों और उपस्थित सबजनों का धन्यवाद किया। इस कार्यक्रम को एक यादगार दिन बनाने के लिए सिख भाईयों का विशेष धन्यवाद किया

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