मध्य प्रदेश:12 मई, आबकारी विभाग ने एक बार फिर शराब की होम डिलीवरी का प्रस्ताव कैबिनेट में मंजूरी के लिए भेजा है। हालांकि छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार के इस फैसले की बीजेपी ने कड़ी आलोचना की थी। हालांकि इस नीति पर शिवराज कैबिनेट द्वारा फिलहाल कोई विचार नहीं किया गया है। मंगलवार को हुई बैठक में अगले 10 माह के लिए लाइसेंस फीसद 5 प्रतिशत बढ़ा कर ठेका रिन्यू करने के प्रस्ताव को भी फिलहाल टाल दिया गया है।
मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि वर्ष 2020-21 के लिए आबकारी नीति में विदेशी शराब की ऑनलाइन बिक्री को प्रस्तावित किया गया है। नई नीति एक अप्रैल से लागू होने वाली थी, लेकिन सरकार ने कोरोना महामारी के चलते मौजूदा ठेकों को दो माह के लिए 5 प्रतिशत लाइसेंस फीसद बढ़ा कर जारी रखा है। इस नीति में शराब की दुकानें बढ़ाने का प्रस्ताव भी था। लेकिन इसका विरोध होने के बाद सरकार बैकफुट पर आ गई थी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि प्रदेश में शराब की नई दुकान नहीं खोली जाएगी।
वहीं आबकारी सूत्रों का कहना है कि प्रस्तावित नीति से नई शराब दुकानें खोलने का बिंदु हटा दिया गया, लेकिन विदेशी शराब की ऑनलाइन बिक्री का बिंदु है। जिसे कैबिनेट में स्वीकृति के लिए भेजा गया है। जिसमें कहा गया है कि पहले चरण में प्रदेश के चारों बड़े शहरों में विदेशी शराब की ऑनलाइन बिक्री होगी।
वहीं कर्शियल डिपार्टमेंट के प्रस्ताव के मुताबिक कोरोना महामारी के चलते शारीरिक दूरी का पालन कराने के उद्देश्य से दिल्ली, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, बंगाल, पंजाब, छत्तीसगढ़, ओडिशा, झारखंड और तमिलनाडु में शराब की ऑनलाइन डिलीवरी की अनुमति है। इसी तर्ज पर मध्य प्रदेश के भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर में इस व्यवस्था को शुरू किया जाएगा। इसमें दुकानदार को ऑर्डर मिलेगा और डिलीवरी ऑनलाइन सर्विस प्रोवाइडर द्वारा की जाएगी।
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वहीं प्रस्ताव में छत्तीसगढ़ की तर्ज पर नए सिस्टम को संचालित करने के लिए मोबाइल ऐप बनाने का उल्लेख भी किया गया है। इसके माध्यम से दुकान संचालक को ऑर्डर मिलेगा। इसके लिए उपभोक्ता का मतदाता परिचय पत्र, आधार कार्ड आदि पहचान पत्र के माध्यम से सत्यापन करने के बाद ऐप पर रजिस्टर्ड किया जाएगा। जिसमें 21 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति का रजिस्ट्रेशन नहीं होगा। ऐप पर उपभोक्ता के निवास स्थान से पास की दुकानों में शराब के स्टॉक और दर की सूची प्रदर्शित होगी। सूत्रों का कहना है कि इस नई नीति से मध्य प्रदेश सरकार को राजस्व का लाभ होगा। शराब की दुकानें खुली होने पर सरकार को 10.318 करोड़ की आमदनी है। वहीं हरियाणा में भी इस तर्ज पर या दोपहर तक शराब की दुकानें खोले जाने की मांग मदिरा के शौकिनों द्वारा लगातार की जा रही है। उनका कहना है कि अब उन्हें मंहगें दामों पर ठेके के शटर के नीचे से शराब खरीदनी पड़ रही है। इससे जहां उनको आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है वहीं सरकार को भी बड़े राजस्व का नुकसान हो रहा है। इसलिए गठबंधन सरकार को चाहिए की वह दोनों में से कोई एक कदम उठाए।