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वेद का पढ़ना पढ़ाना और सुनना सुनाना सभी श्रेष्ठ पुरुषों का परम धर्म है

खबरेंNcr रिपोर्टेर पंकज अरोड़ा, फ़रीदाबाद: 04 सितंबर, आर्य केंद्रीय सभा (नगर निगम क्षेत्र) के तत्वाधान में आयोजित 8 दिवसीय वेद प्रचार कार्यक्रम के का शुभारंभ आर्य समाज, सैक्टर 7 में हुआ। आर्योपदेशक सतीश सत्यम, भजनोपदेशक जितेंद्र भभाकर सरल ने अपने मधुर भजनों से सबका मन मोह लिया।

मुख्य वक्ता, दर्शनाचार्य, स्वामी ज्योतिरानंद ने अपने प्रवचन के माध्यम से कहा हमारी संस्कृति और हर पर्व का वैज्ञानिक आधार है। वैदिक संस्कृति में अनेक ऋषियों ने आध्यात्मिक ज्ञान, धार्मिक आदर्श और दर्शनिक विचारों का विस्तार किया। वेदों का अध्ययन वैदिक शिक्षा का मुख्य उद्देश्य था स्वामी विरजानंद ने महाऋषि दयानंद को मूल वैदिक ग्रंथों का अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया। दयानंद ने लगभग तीन वर्षों तक उनके संरक्षण में वेदों और अन्य शास्त्रीय ग्रंथों का अध्ययन किया। चारों वेदों में सबसे प्रसिद्ध और सबसे विशाल है ऋग्वेद, जिसमें कहा गया है, मनुष्य एक है, उसका ईश्वर भी एक है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता सार्वदेशिक आर्य वीर दल के अध्यक्ष डा. स्वामी देवव्रत ने की। विशेष आमंत्रित आर्य प्रतिनिधि सभा, हरियाणा के उपप्रधान देशबंधु आर्य और गुरुकुल इंद्रप्रस्थ के संचालक आयार्च ऋषिपाल कार्यक्रम में उपस्थित रहे।
महामंत्री योगेंद्र फोर ने मंच संचालन ने किया। कोषाध्यक्ष, सतीश कौशिक ने सबका स्वागत और धन्यवाद किया। आनंद महता, निष्ठाकर आर्य, कर्मचंद शास्त्री, वसु मित्र सत्यार्थी, सुधीर बंसल, मनोज डंगवाल, शिव कुमार टुटेजा, योगाचार्य देवराज आर्य, संजय आर्य, कुलभूषण सखुजा, हरि ओम शास्त्री, सत्यदेव गुप्ता, आशा पंडित, प्रेम बहल, विमला ग्रोवर, ऊषा चितकारा, प्रकाश देवी, सुषमा वधवा, विशेष रूप से उपस्थित रहे।

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