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सृष्टि के रचयिता परमशक्ति ईश्वर की उपासना द्वारा आदर्श और श्रेष्ठ जीवन यापन से उद्धार संभव

पंकज अरोड़ा की रिपोर्ट फरीदाबाद: 04 सितंबर, आर्य केंद्रिय सभा (नगर निगम क्षेत्र) के तत्वाधान में विभिन्न आर्य समाजों में 8 दिवसीय वेद प्रचार महोत्सव के तीसरे दिन महर्षि दयानन्द योगधाम, एस जी एम नगर में आयोजित कार्यक्रम में बड़ी संख्या में आर्यजन सम्मिलित हुए।

प्रसिद्ध आर्य भजनोपदेशक आचार्य सतीश सत्यम और जितेंद्र सरल ने जीवन में वैदिक संस्कारों की महत्ता को अपने सुंदर और प्रेरक भजनों के माध्यम से प्रस्तुत किया।

मुख्य वक्ता‌ आर्य विद्वान डा. नरेंद्र वेदालंकार ने अपने उद्बोधन में श्रेष्ठ कर्मों से जीवन को सफल बनाने का आवाहन किया। उन्होंने कहा कि कोई भी कर्मों का फल प्राप्त किए बिना मुक्त नहीं हो सकता। बुरे कर्मों का त्याग करना चाहिए तथा अच्छे कर्म सदैव करने चाहिए। अच्छे कर्म करने पर भी अभिमान नहीं रखना चाहिए। निरपेक्ष भाव से अच्छे श्रेष्ठ कर्म सदैव करने पर परमात्मा की प्राप्ति होती है।

गुरूकुल इंद्रप्रस्थ के संचालक तथा आर्य केंद्रिय सभा के अध्यक्ष आचार्य ऋषिपाल ने कहा परमपिता परमात्मा अतिसूक्ष्म हैं उसकी कृपा असीम है हम सौभाग्यशाली हैं वेद प्रचार महोत्सव के माध्यम से उस परमशक्ति की उपासना का हमें अवसर प्राप्त हो रहा है। कार्यक्रम के सम्मिलित होने के लिए उपस्थित जनों और विद्वानों का धन्यवाद किया।

कार्यक्रम में मुंशी लाल अग्रवाल, नंदलाल कालरा, वसु मित्र सत्यार्थी, सत्यप्रकाश अरोड़ा, गोल्डी मल्होत्रा, जगबीर मलिक, संजय आर्य, होती लाल आर्य, योगेंद्र फोर, गुरूकुल के ब्रह्मचारी बालक, विमल सचदेवा, प्रेम बहल, हर्ष गुलाटी, सरला देवी, ज्ञान देवी आहूजा, रुकमणी टुटेजा, प्रतिभा यति, सविता सचदेवा, संतोष मदान, मीरा हसीजा तथा अनेक श्रद्धालुगण उपस्थित रहे।

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