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जश्न-ए-फरीदाबाद-3 के कार्यक्रम में ‘शाम-ए-गज़ल’ जसविंदर सिंह ने समा बांधा

खबरेंNcr रिपोर्टर पंकज अरोड़ा फरीदाबाद: 04 दिसंबर, साहित्य कला और संस्कृति के प्रचार-विकास में समर्पित फरीदाबाद साहित्यिक एवं सांस्कृतिक केंद्र (एफ एल सी सी) के तत्वाधान में दो दिवसीय साहित्यिक और सांस्कृतिक उत्सव का तीसरे संस्करण जश्न-ए-फरीदाबाद-3 के भव्य सुरीले कार्यक्रम ‘शाम-ए-गज़ल’ में फिल्म ‘साथ-साथ’ के ‘तुमको देखा तो ये ख्याल आया’ और अंकुश के ‘इतनी शक्ति हमें दे ना दाता’ जैसी ग़ज़लों के संगीतकार कुलदीप सिंह के पुत्र, विश्व विख्यात गजल गायक जसविंदर सिंह ने अपनी मधुर ग़ज़लों की प्रस्तुति दी। अपनी खनकदार मधुर आवाज के जादू से अपनी गजलों के माध्यम से श्रोता कै मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने श्रोताओं की मांग पर गजलें भी सुनाई।

शाष्त्रीय संगीत में दक्ष जसविंदर सिंह, गज़ल, सूफी और पंजाबी गानों में माहिर हैं। वह कई राष्ट्रीय और अंर्तराष्ट्रीय मंचों से अपनी सुरीली प्रस्तुति दे चुके हैं और पहली बार फरीदाबाद वासियों को उनको सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। साउंड इंजीनियर संजय शाहा के सहयोग से कीबोर्ड पर विशाल धूमल, गिटार पररतन प्रसन्ना, बांसुरी वादक, भास्कर दास और तबला वादक आशीष रागवानी ने जसविंदर सिंह के साथ संगत की।

अपने दिल के बहुत करीब और माँ के त्याग, सर्मपण और आशीर्वाद को सर्मित भावपूर्ण गज़ल ‘जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है, मां दुआ करती हुई ख़्वाब में आ जाती है’ ने सब श्रोताओं को भावुक कर दिया। अपने पिता कुलदीप सिंह द्वारा संगीतबध मशहूर गजल ‘तुम को देखा तो ये ख़याल आया, ज़िंदगी धूप तुम घना साया’, अहमद फ़राज़ द्वारा रचित ‘आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ’, जगजीत सिंह की मशहूर गज़ल ‘कल चौदहवीं की रात थी, शब भर रहा चर्चा तेरा’ मिर्ज़ा ग़ालिब की ‘दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है, आख़िर इस दर्द की दवा क्या है’ आदि अनेक गजलों से इस कार्यक्रम को यादगार बना दिया।

कार्यक्रम के अंत में आध्यात्मिक सूफी गीत जो सिंध के सबसे प्रतिष्ठित सूफी संत, लाल शाहबाज़ क़लंदर सेहवान शरीफ़ के सम्मान में लिखा गया प्रस्तुत किया जिस पर श्रोता झूम उठे।

कार्यक्रम में टी एम लालानी, शम्मी कपूर, बड़खल विधायक सीमा त्रिखा, आर के चिलाना, ऋषि पाल चोहान, गायक प्रेम भाटिया, पॉश जेम्स, राज भाटिया तथा अजय जुनेजा विशेष रुप से उपस्थित रहे।

फरीदाबाद साहित्यिक एवं सांस्कृतिक केंद्र के प्रधान विनोद मलिक, महासचिव एम एल नंदवानी, सांस्कृतिक सचिव वसु मित्र सत्यार्थी, कोषाध्यक्ष जगदीप सिंह मैनी, कार्यकारी सदस्य अश्विनी कुमार सेठी, संस्थापक सदस्यों जगत मदान, मोहिंदर सेठी, राकेश कुकरेजा, सरबजीत सिंह, बृज मोहन शर्मा, जितेंद्र मान, डा. शुभ तनेजा ने जसविंदर सिंह को एक शाल और स्मृति चिन्ह से तथा उनके सहयोगियों को शाल पहना कर सम्मानित किया।

प्रधान विनोद मलिक ने जसविंदर सिंह और उनकी पूरी टीम को एक यादगार शाम-ए-गज़ल में सुरीली प्रस्तुति के लिए धन्यवाद दिया और कला प्रेमी उपस्थित महमानों को उनकी गरिमामय उपस्थिति से कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए आभार प्रकट किया

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