खबरेंNcr रिपोर्टर पंकज अरोड़ा फरीदाबाद: 18 अगस्त, आर्य समाज (सैंट्रल), सैक्टर 15 के तत्वाधान में आयोजित वेद प्रचार कार्यक्रम का शुभारंभ यज्ञ से किया गया तत्पश्चात विदुषी भजनोपदेशका आचार्या अंजलि आर्या (करनाल) ने मधुर भजनों से सब का मन मोह लिया उन्होंने बताया जीवन के अच्छे मूल्यों के महत्व को समझाने के लिए उन आदर्श व्यक्तियों की कहानियों और दृष्टांतों का उपयोग करें जिन्होंने उन मूल्यों के अनुरूप जीवन व्यतीत किया है जो आप अपने बच्चों को देना चाहते हैं, जिससे बच्चे उन्हें प्रासंगिक और आकर्षक तरीके से समझ सकें।
वैदिक ग्रंथो में स्पष्ट रूप से प्रकृति के गुणों के अनुसार तीन प्रकार के कर्मो का उल्लेख है – सात्विक कर्म राजसिक कर्म तथा तामसिक कर्म ।
इसी प्रकार आहार के तीन भेद है सात्विक आहार , राजसिक आहार, तथा तामसिक आहार ।
इन सबका विशद वर्णन हुआ है, और यदि हम हमारे वेद और उपनिषद को समझे तो कहीं पर भी इस चीज का वर्णन नही है की हम प्रकृति को नुकसान पहुचायें। हमे कभी भी प्रकृति को नुकसान नही पहुचाना चाहिये क्यों की ये सब उस परमसत्य ईश्वर की देन है, जो की हमारे जीवन में बहुत उपयोगी है ।
मुख्य अतिथि बढखल विधायिका सीमा त्रिखा ने सफल आयोजन के लिए शुभकामनाएं दी। प्रधान विमल सचदेवा और कार्यकारी प्रधान डा. हरिओम आर्य ने सब का धन्यवाद किया।
कार्यक्रम में सुकीर्ति चावला, अंकित आर्या, विजय भूषण आर्य, शिव कुमार टुटेजा, नंद लाल कालरा, वसु मित्र सत्यार्थी, सुधीर कुमार बंसल व विमला ग्रोवर विशेष रूप से उपस्थित रहे।