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स्वतंत्रता आंदोलन में महर्षि दयानंद सरस्वती का क्रांतिकारियों पर था विशेष प्रभाव

पंकज अरोड़ा की रिपोर्ट फरीदाबाद: आर्य समाज (सैंट्रल), सैक्टर 15 के तत्वाधान में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नायक सुभाष चंद्र बोस की जयंती जिसको पराक्रम दिवस के तौर पर भी मनाया जाता है के अवसर पर विख्यात भजनोपदेशक दिनेश पथिक द्वारा देशभक्ति गीतों के माध्यम से देश के स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया गया और महर्षि दयानन्द सरस्वती जी के सामाजिक योगदान को भी मधुर भजनों से नमन किया गया।

दिनेश पथिक ने भजनों और देशभक्ति गीतों में स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों का गुणगान किया और आवाहन किया कि भारतीयों को उनके आदर्शों पर चलकर राष्ट्र का निर्माण करना है। यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। उन्होंने बताया कि भारत वह देश है, जिसने विश्व को दिशा दी है। हमारी संस्कृति पर हमें गर्व होना चाहिए।

स्वतंत्रता संग्राम में महर्षि दयानंद सरस्वती के योगदान पर प्रकाश डालते हुए बताया कि महर्षि आधुनिक भारत के स्वाधीनता आन्दोलन के प्रथम उद्घोषक थे, स्वतंत्रता आंदोलन के बलिदानियों मे 85 प्रतिशत ऋषि के अनुयायी रहे है। प्रसिद्ध क्रांतिकारी सरदार भगत सिंह के दादा सरदार अर्जुन सिंह विशुद्ध आर्य समाजी थे और इनके पिता किशन सिंह भी आर्य समाजी थे। भगत सिंह के विचारों पर भी आर्य समाज के संस्कारों की छाप स्पष्ट दिखाई पड़ती है।

कार्यक्रम का संचालन सुधीर बंसल द्वारा किया गया। प्रधाना विमल सचदेवा ने कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सबका धन्यवाद किया। इस कार्यक्रम में आचार्य हरिओम शास्त्री, कर्मचंद शास्त्री, वसु मित्र सत्यार्थी, योगेंद्र फोर, आर के देखी, शिव कुमार टुटेजा, देशबंधु आर्य, जितेंद्र सरल, आई जे गिरधर, संजय सेतिया, नर्वदा शर्मा, सुक्रिती चावला, रूकमणि टुटेजा, प्रेम‌ बहल, बिमला ग्रोवर, प्रेम लता गुप्ता, मधु गर्ग विशेष रूप से उपस्थित रहे।

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